इस बार वट सावित्री व्रत 6 जून, बृहस्पतिवार को रखा जाएगा. हिंदू परंपरा में महिलाऐं अपने पति की दीर्घायु एवं सुखद वैवाहिक जीवन के लिए तमाम व्रत का पालन करती हैं. वट सावित्री व्रत भी सौभाग्य प्राप्ति का एक बड़ा व्रत है. ये व्रत ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है. वट सावित्री का व्रत साल में एक बार आता है. इस दिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं तथा पूजा-पाठ करती हैं. ये व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए करवाचौथ के व्रत की भांति बेहद विशेष होता है. मासिक धर्म है एवं पूजा-व्रत को लेकर असमंजस की स्थिति बन जाए तो हम आपको बता रहे हैं कि आप व्रत रख सकती हैं या नहीं और इस दिन कैसे आप पूजा कर सकती है.
मासिक धर्म में ऐसे करें वट सावित्री की पूजा
1- वट सावित्री पर आप व्रत रखना चाहती हैं तो रख सकती है. लेकिन सनातन धर्म में इसके लिए कई नियम हैं.
2- व्रत या पूजा-पाठ के चलते पीरियड्स आ जाएं, तो ऐसे में महिलाओं को अपना व्रत पूरा करना चाहिए.
3- वट सावित्री के दिन आपको पीरियड आ जाए तो आप बाल धोकर स्नान कर लें तथा अच्छे से श्रृंगार कर तैयार हो जाएं.
4-इस दिन व्रत तो रखें किन्तु पूजा सामग्री की किसी सामग्री को नहीं छुएं. भगवान की प्रतिमाओं एवं पूजा सामग्रियों को नहीं छूना है.
5-आप घर की किसी अन्य महिला या अन्य व्यक्ति से पूजा करवा सकती हैं. आप पूजा की पूरी विधि देख सकती हैं.
6-बाकी सारी विधियां जैसे पति के पैर धोना, रक्षासूत्र बांधना, पति को तिलक लगाना आदि कर सकती है.
8-आप पूजा की जगह से दूर बैठकर वट सावित्री की व्रत कथा भी सुन सकती हैं.
9- व्रत के चलते पीरियड्स आने पर आप मन में मंत्रों का जाप एवं भगवान की आस्था करनी चाहिए.
10- आप पहली बार ये व्रत रख रही हैं एवं आपको मासिक धर्म आरम्भ हो गया है तो आपको सलाह है कि इस बार आप यह व्रत शुरू नहीं करें. आप अगले वर्ष से व्रत करना आरम्भ करें.
11-मानसिक रूप से भगवान की आस्था करनी चाहिए.
इन राशियों के शुरू होने वाले है अच्छे दिन, कम होगा साढ़ेसाती का प्रभाव
साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति पाने के लिए शनि जयंती पर जरूर अपनाएं ये उपाय, मिलेगा छुटकारा