घमौरियों पर बर्फ को रगड़ना चाहिए या नहीं? जानिए एक्सपर्ट्स की राय

घमौरियों पर बर्फ को रगड़ना चाहिए या नहीं? जानिए एक्सपर्ट्स की राय
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40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान वाले क्षेत्रों में अक्सर "लू" के रूप में जाना जाने वाला अनुभव होता है, जो गर्म और शुष्क हवा है जो त्वचा संबंधी समस्याओं सहित कई स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकती है। इस दौरान एक आम समस्या हीट रैशेज है, जिसमें त्वचा पर छोटे लाल दाने होते हैं, जिन्हें आमतौर पर "घमोरियाँ" के रूप में जाना जाता है। ये दाने खुजली, जलन और बेचैनी पैदा कर सकते हैं।

हीट रैशेज को समझना:
गर्म मौसम के दौरान, हमारी त्वचा पर अधिक पसीना आता है, खासकर उन जगहों पर जहाँ पसीना आसानी से वाष्पित नहीं हो पाता। इससे पसीना और गंदगी जमा हो जाती है, जिससे बैक्टीरिया के विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनता है। नतीजतन, त्वचा पर छोटे दाने या दाने दिखाई देते हैं, जिन्हें आमतौर पर हीट रैशेज या "घमोरियाँ" कहा जाता है।

विशेषज्ञ सलाह:
विशेषज्ञों का सुझाव है कि गर्मी के महीनों में, राहत के लिए प्रभावित क्षेत्रों पर ठंडे पदार्थ लगाना आम बात है। हालाँकि, सीधे बर्फ के ठंडे पानी को लगाने से बचना ज़रूरी है, क्योंकि इससे त्वचा को झटका लग सकता है। इसके बजाय, विशेषज्ञ प्रभावित क्षेत्र पर कपड़े में लपेटी हुई बर्फ को रगड़ने की सलाह देते हैं। बर्फ को बहुत देर तक एक ही जगह पर न छोड़ना ज़रूरी है; बल्कि, इसे हर 2-3 सेकंड में इधर-उधर घुमाते रहें। इसके अलावा, विशेषज्ञ त्वचा को ठंडा करने और बैक्टीरिया या कीटाणुओं के प्रसार को रोकने के लिए दिन में दो बार गुनगुने पानी से नहाने की सलाह देते हैं जो हीट रैश को बढ़ा सकते हैं।

जिम जाने वालों के लिए सुझाव:
जो लोग अत्यधिक गर्मी के दौरान शारीरिक गतिविधियाँ या कसरत सत्र में शामिल होते हैं, उनके लिए विशेषज्ञ पसीने और गंदगी से त्वचा को साफ करने के लिए बाद में ठंडे पानी से नहाने का सुझाव देते हैं। शरीर को धीरे से थपथपाना ज़रूरी है, क्योंकि अत्यधिक नमी हीट रैश के जोखिम को बढ़ा सकती है। इसके अलावा, हर 2-3 दिन में त्वचा को हल्के से एक्सफोलिएट करने से छिद्रों में फंसी गंदगी को हटाने में मदद मिल सकती है, जिससे त्वचा स्वस्थ, चमकदार और संक्रमण से मुक्त रहती है।

निवारक उपाय:
गर्मी के कारण होने वाले रैशेज को रोकने के लिए उचित स्वच्छता बनाए रखना बहुत ज़रूरी है। बाहर से घर लौटने के तुरंत बाद नहाने से त्वचा पर जमा पसीना और गंदगी साफ हो जाती है। नियमित रूप से बिस्तर की चादरें, तकिए के कवर और तौलिये साफ करने से त्वचा के संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम भी कम होता है। इसके अलावा, नहाने के पानी में नीम की पत्तियाँ डालने से गर्मी के कारण होने वाले रैशेज से राहत मिल सकती है, क्योंकि नीम में जीवाणुरोधी और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं।

गर्मी के मौसम में होने वाले रैशेज या "घमोरियाँ" त्वचा से जुड़ी आम समस्याएँ हैं, लेकिन उचित देखभाल और स्वच्छता से इन्हें प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। विशेषज्ञ की सलाह का पालन करके, जैसे कि गुनगुने पानी से नहाना, आइस पैक का उपयोग करना और अच्छी स्वच्छता बनाए रखना, व्यक्ति असुविधा को कम कर सकते हैं और गर्मी से संबंधित त्वचा की समस्याओं के जोखिम को कम कर सकते हैं। विशेष रूप से अत्यधिक गर्मी के दौरान सतर्क रहना और त्वचा और समग्र स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सक्रिय उपाय करना आवश्यक है।

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