श्रावण का महिना आते ही भक्तों में काफी उत्साह उमंग की दिखाई देता है, श्रवण माह में भक्ति की जैसे लहर सी दौड पडती है । भगवान शिव के भक्त मां नर्मदा का पावन जल कावड में भरकर बोलबम और जय महांकाल की गूंज के साथ शिवालयों में पहुचते है। इन भक्तो की टोली गाजे बाजे के साथ में भगवान् भोले के दर्शन के निकती है।
यह भक्त शरीर पर कैशरिया वस्त्र धारण करते है और नंगे पैर लम्बी दूरी तय करते हुए अपने भगवान भोलेनाथ को मनाते है। श्रावण का महिना अपने आप में एक चमत्कारिक महिना है। रिमझिम रिमझिम बारीश से श्रावण का महिना औैर खास हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि श्रावण के महिने में भगवान शिव स्वयं धरती पर रहते है।
जो भक्त सच्चे मन से शिव आराधना एवं उपासना करते हे भगवान शिव उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करते है। श्रावण का प्रथम सोमवार अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण है। कुछ भक्त श्रावण के सभी सोमवार में उपवास रखते है. और उनका मानना ये होता है कि श्रावण के इन सोमवार में उपवास करने से भोलेनाथ उनकी सारी इक्छाएं पूर्ण करेंगे.
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