2 संवत 1561 को माता दया कौर जी की पवित्र कोख से श्री गुरु रामदास जी ने जन्म लिया था. उनका जन्म दिवस 9 अक्टूबर को बनाया जाता है, उनका मूलजन्म स्थान चूना मंडी लाहौर में मना जाता है. इनके बचपन का नाम जेठा जी था. बालपन में ही इनकी माता दया कौर जी का देहांत हो गया. जब आप सात वर्ष के हुए तो आप के पिता श्री हरिदास जी भी परलोक सिधार गए. आज उनके जन्मदिन के दिन हम आपको रोचक जानकारी देने जा रहे है.
इस अवस्था में आपको आपकी नानी अपने साथ बासरके गाँव में ले गई. बासरके आपके ननिहाल थे. यहाँ आकर आप भी अन्य क्षत्री बालकों की तरह घुंगणियाँ (उबले हुए चने) बेचते थे. जब श्री गुरु अमरदास जी चेत्र सुदी 4 संवत 1608 में गुरुगद्दी पर आसीन हुए तो आप जेठा जी का और भी ख्याल रखते थे. आपकी सहनशीलता, नम्रता व आज्ञाकारिता के भाव देखकर गुरु अमरदास जी ने अपनी छोटी बेटी की शादी 22 फागुन संवत 1610 को जेठा जी (श्री गुरु रामदास जी) से कर दी.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि बीबी भानी अपने गुरु जी की बहुत सेवा करती. प्रातःकाल उठकर अपने गुरु पिता को गरम पानी के साथ स्नान कराती और फिर गुरुबाणी का पाठ करके लंगर में सेवा करती. एक दीन बीबी ने देखा कि चौकी का पावा टूट गया है जिसपर बैठकर गुरु जी स्नान करते हैं. उस पावे के नीचे बीबी ने अपना हाथ रख दिया ताकि गुरु जी के वृद्ध शरीर को चोट ना लगे. बीबी के हाथ में पावे का कील लग गया और खून बहने लगा. जब गुरु जी स्नान करके उठे तो बीबी से बहते खून का कारण पूछा. बीबी ने सारी बात गुरु जी को बताई. बीबी की बात सुनकर गुरु जी प्रसन्न हो गए और आशीर्वाद देने लगे कि संसार में आपका वंश बहुत बढ़ेगा जिसकी सारा संसार पूजा करेगा.
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