जम्मू-कश्मीर में आतंकियों द्वारा पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या के बाद उनके बेटे ने उन्ही के अखबार राइज़िंग कश्मीर में अपने पिता की मौत को लेकर एक आर्टिकल लिखा है. तमहीद ने लिखा है कि मेरे पिता सिद्धांतों पर चलने वाले व्यक्ति थे. शुजात बुखारी का बेटा तमहीद कश्मीर वैली स्कूल में दसवीं क्लास का छात्र है.आर्टिकल में तमहीद ने लिखा है कि 14 जून का दिन मेरे और मेरे परिवार के लिए काफी डरावना दिन था, जब मैं पीसीआर से श्रीनगर पहुंचा तो मैंने किसी के मुंह से सुना कि वो नहीं रहे. ये सुनते ही मेरे पैर कांपने लगे और मेरे दिमाग में कई तरह के ख्यालात आने लगे.
मैं सोच रहा था कि क्या पता अभी भी वह ऑपरेशन थियेटर में हो? क्या पता वो अभी भी जिंदा हों? मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था कि कोई मेरे पिता के साथ क्यों इस तरह करेगा? जैसे ही पिता का शव आया तो वहां पर काफी भीड़ एकत्रित होने लगी. तमहीद ने लिखा कि मेरे पिता हमेशा से ही अपने सिद्धातों पर चलते थे, उनके चारों ओर उनसे नफरत करने वाले हजारों लोग थे लेकिन फिर भी उन्होंने उनके खिलाफ कोई शब्द नहीं कहा. मेरे पिता किसी का बुरा नहीं सोचते थे, बल्कि वह अपने ऑफिस के स्टाफ को भी परिवार का हिस्सा मानते थे. उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी घाटी में शांति के लिए काम किया था. वह कश्मीरी भाषा को आगे ले जाना चाहते थे.
शुजात बुखारी के बेटे ने लिखा कि 1990 में आतंकियों और सेना के बीच मुठभेड़ के दौरान पिता के दो कजिन की मौत हो थी. हमारे परिवार में कश्मीर मुद्दे के कारण ये तीसरी मौत है. बेटे ने लिखा कि इस निर्दयी दुनिया के लिए मेरे पिता फिट नहीं थे. भगवान को उनके जैसी पवित्र आत्मा की ऊपर जरूरत थी, इसलिए उन्हें अपने पास बुला लिया. गौरतलब है कि 14 जून को आतंकियों ने शुजात बुखारी के सीने में एक दो नहीं बल्कि 15 गोलियां दाग कर उनकी हत्या कर दी.
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