बैंगलोर: कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता तो हासिल कर ली है, लेकिन अब नतीजे आने के 4 दिन बाद भी पार्टी हाई कमान मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला नहीं ले पाया है। ये कांग्रेस के साथ एक समस्या है, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल..., जहाँ-जहाँ कांग्रेस सत्ता में आई, वहां-वहां उसके नेता कुर्सी को लेकर आपस में उलझ पड़े, अब यही कर्नाटक में हो रहा है। ऐसे में विरोधी दल के लोग कह रहे हैं कि, कांग्रेस को यदि जनता की सेवा करनी होती, तो अब तक सीएम निर्धारित हो चुका होता, लेकिन उन्हें 'लूटना' है और सबसे अधिक कौन लूटेगा, किसे कितना हिस्सा मिलेगा, इसको लेकर ही पार्टी में घमासान मचा हुआ है।
बता दें कि, कर्नाटक में CM के नाम को लेकर सस्पेंस और गहराता जा रहा है. डीके शिवकुमार या सिद्धारमैया? बैंगलोर से दिल्ली तक हुई कई बैठकों के बाद भी इस पर फैसला नहीं हो पाया. इसके बाद दिल्ली में मौजूद दोनों नेताओं को हाईकमान ने वहीं रुकने के लिए कहा. वहीं, अब कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ गईं हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि इन दोनों चर्चित विकल्पों के बीच मुख्यमंत्री पद की रेस में अब तीसरा नाम भी सामने आ रहा है. कर्नाटक के पूर्व डिप्टी सीएम जी परमेश्वर ने भी कुर्सी के लिए अपनी दावेदारी पेश की है. बता दें कि, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जी परमेश्वर, कर्नाटक के पार्टी अध्यक्ष भी रहे हैं.
अब परमेश्वर ने कहा है कि, 'यदि मौका मिले तो मैं शीर्ष (CM) पद संभालने के लिए तैयार हूं. यह अलग बात है कि मैं 2013 में हार गया था. मैं पार्टी को चलाने के लिए हाईकमान पर विश्वास करता हूं. मैं 50 विधायकों और इससे अधिक के साथ भी अपनी ताकत दिखा सकता हूं. मैं ऐसा नहीं करना चाहता. नेता मेरे योगदान को जानते हैं. मैं उपमुख्यमंत्री, पार्टी अध्यक्ष और काफी कुछ रहा हूं. कहा जाए तो मैं सीएम पद की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हूं."
वहीं, सिद्धारमैया से मिलने और समर्थन देने के लिए कांग्रेस विधायक निरंतर ITC मौर्या होटल पहुंच रहे हैं. अब तक 20 से अधिक विधायक वहां पहुंच चुके हैं. सिद्धारमैया ने सबको मीडिया में बयान देने से रोक दिया है. उनके करीबी सूत्रों के मुताबिक, आज पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे फिर से सिद्धारमैया को मिलने के लिए बुला सकते हैं. वहीं, दूसरी तरफ डीके शिवकुमार ने खरगे को दो टूक कह दिया है कि, या तो मुझे सीएम बनाओ, या फिर विधायक ही रहने दो। बता दें कि, शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच पुरानी अदावत है, ऐसे में शिवकुमार शायद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के आधीन काम नहीं करना चाहते।
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