आज पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के तौर पर इमरान खान ने शपथ ली। वह पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री बने, लेकिन उनके शपथ ग्रहण समारोह में पूर्व भारतीय क्रिकेटर और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू की मौजूदगी कई सवाल खड़े करती है। सिद्धू ने दोस्ती का हवाला देते हुए शपथ ग्रहण समारोह में जाना उचित ठहराया है, जबकि वहां से आईं तस्वीरें और खबरें कुछ और ही दास्तां बयां कर रही हैं।
राष्ट्रीय शोक को भुलाकर सिद्धू का पाकिस्तान जाना कितना उचित ?
तस्वीरों में दिख रहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के सेना प्रमुख के गले मिले। इतना ही नहीं, सिद्धू को शपथ ग्रहण समारोह में पीओके के राष्ट्रपति के बगल में बिठाया गया। इसके अलावा सिद्धू ने वहां पर एक प्रेस कांफ्रेंस की, जिसमें उन्होंने कहा कि वह जितनी मोहब्बत हिंदुस्तान से लेकर आए थे, उससे 100 गुना ज्यादा मोहब्बत पाकिस्तान से लेकर जा रहे हैं। यह सारे तथ्य देखकर तो यही लगता है कि सिद्धू पाकिस्तान की हिमायत कर रहे हैं। राष्ट्रधर्म को भूलकर वह उस पड़ोसी देश की तारीफ कर रहे हैं, जहां के सैनिक आए दिन हमारे सैनिकों को मारते रहते हैं और जहां की सेना हमारे देश में आतंकवाद को फैला रही है। सिद्धू की पाक हिमायत गले नहीं उतर रही है। दरअसल, सिद्धू जब पाकिस्तान के लिए रवाना हुए, उस समय पूरा देश अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के शोक में डूबा हुआ था, लेकिन सिद्धू ने राजकीय शोक को भूल अपनी दोस्ती निभाना ज्यादा उचित समझा।
पाकिस्तान में बोले सिद्धू, यहां से 100 गुना अधिक मोहब्बत लेकर लौटूंगा हिन्दुस्तान
सिद्धू को लेकर सोशल मीडिया पर काफी कुछ लिखा जा रहा है। टीवी चैनल इस पर बहस कर रहे हैं, लेकिन ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर कांग्रेस नेता का इस समय पाक जाना कहां तक उचित है? क्या सिद्धू की बयानबाजी राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आती है? क्या सिद्धू दोस्ती की आड़ में अपने पाकिस्तानी प्रेम को छिपा रहे थे? सवाल यह भी है कि क्या कांग्रेस पार्टी नवजोत सिंह सिद्धू के इस तरह के आचरण पर कोई एक्शन लेगी या नहीं?
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