अगर आप भी एनर्जी ड्रिंक पीते हैं तो ये खबर आपके लिए ही है। जी दरअसल एक अमेरिकी व्यक्ति को 10 मिनट में एनर्जी ड्रिंक के 12 कैन पीने के बाद अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। जी हाँ, इस मामले में बताया गया कि ड्रिंक में चीनी, कैफीन और केमिकल की अधिक मात्रा होने के कारण 36 वर्षीय उस व्यक्ति की पेनक्रियाज ने खुद को ही डाइजेस्ट करना शुरू कर दिया। उसके बाद हालत बिगड़ने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालांकि कभी-कभी एनर्जी ड्रिंक को स्पोर्ट बेवरेज भी समझ लिया जाता है जबकि यह उससे अलग होते हैं।
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जी दरअसल इन ड्रिंक्स को अलर्टनेस (सतर्कता) और एनर्जी लेवल (ऊर्जा के स्तर) बढ़ाने के तौर पर प्रचारित किया जाता है, इनमें काफी मात्रा में कैफीन होती है और सोडे के जितनी या उससे ज्यादा शुगर होती है। केवल यही नहीं बल्कि कई एनर्जी ड्रिंक में लगभग 200 मिलीग्राम कैफीन होता है, जो दो कप कॉफी में होती है। हालाँकि सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि इन ड्रिंक्स की सेफ्टी को लेकर रेगुलेशन की कमी है, इसी के साथ ही युवा वर्ग को लुभाने के लिए इनकी एग्रेसिव तरीके के मार्केटिंग की जाती है।
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आपको बता दें कि रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (Centers for Disease Control and Prevention) ने बताया कि, '2007 में 12 से 17 साल की उम्र के 1,145 बच्चे एनर्जी ड्रिंक की वजह से इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराए गए थे। 2011 में यह संख्या बढ़कर 1,499 हो गई थी।' वहीं QRG सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की डायटेटिक्स एचओडी डॉ निशांत तंवर ने कहा, “कैफीन की हाई डोज से हाइपरटेंशन, पल्पिटेशन, कैल्शियम की कमी के अलावा और भी कई समस्याएं पैदा हो सकती है।”
आपको बता दें कि इस बारे में एक्सपर्ट ने बताया कि एनर्जी ड्रिंक अक्सर शुगर से भरे होते हैं, जो खिलाड़ी की डेंटल हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा,”इन ड्रिंक्स में मौजूद शुगर दांतों के एनामेल को खराब कर सकती है, जिससे केविटी और हाइपरसेंसिटिविटी जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।” इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा कि लंबे समय तक इनका इस्तेमाल शरीर के मेटाबॉलिज्म को भी प्रभावित कर सकता है जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को असंतुलित कर सकता है।
सामने आने वाली एक एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे सबूत मिले हैं जो साबित करते हैं एनर्जी ड्रिंक का स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जी हाँ और इसकी वजह से मेंटल हेल्थ खराब हो सकती है, कार्डियोवैस्कुलर और मेटाबॉलिज्म पर बुरा प्रभाव पड सकता है या डेंटल प्रॉब्लम हो सकती है। केवल यही नहीं बल्कि इनमें मौजूद कैफीन की ज्यादा मात्रा, हाई फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप, कम कैलोरी वाले स्वीटनर और हर्बल स्टीमुलेंट के साथ एडेड शुगर बच्चों को उनके शरीर के छोटे आकार (साइज) के कारण ज्यादा प्रभावित कर सकती है।
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