नई दिल्ली: भारत के वे प्रदेश जहां की भाषा हिंदी नहीं है, वहां सरकारी बोर्ड पर हिंदी और अंग्रेजी भाषा में ही जानकारी लिखी होती है. ऐसे में उस राज्य के लोग हिंदी या अंग्रेजी पढ़ने में दिक्कतों का सामना करते हैं. लोगों को अपने क्षेत्र में साइन बोर्ड के माध्यम से सही जानकारी मिले, यह मामला मंगलवार को शून्यकाल के दौरान राज्यसभा में उठाया गया. इस पर उच्च सदन के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि देश के प्रत्येक राज्य में सभी सरकारी साइनबोर्ड मातृभाषा यानी क्षेत्रीय भाषा में लिखे जाएं.
राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान, पश्चिम बंगाल से AITC सांसद सुखेन्दु शेखर रॉय ने कहा कि सरकारी साइनबोर्ड पर सिर्फ हिंदी और अंग्रेजी भाषा में ही जानकारी लिखी होती है, जो स्थानीय नागरिकों को समझ नहीं आती. बांगाल में आम लोग बांग्ला समझते हैं. उन्होंने कहा कि हिंदी और अंग्रेजी भाषा से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है, मगर मातृभाषा में ही यदि साइन बोर्ड होंगे, तो लोगों को समझने में आसानी होगी. उन्होंने मेट्रो ट्रेन का उल्लेख भी किया, जहां बोर्ड पर सिर्फ हिंदी और अंग्रेजी भाषा में जानकारी लिखी होती है.
इस मामले की गंभीरता के मद्देनज़र, सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि यह मुद्दा अकेले सुखेन्दु शेखर रॉय का नहीं है, बल्कि पूरे देश का है. इस मामले पर, प्रत्येक राज्य में सभी सरकारी साइन बोर्ड (राज्य और केंद्र) पर पहले मातृभाषा या राज्य की भाषा का ही प्रयोग किया जाए, इसके बाद ही हिंदी या अंग्रेजी का उपयोग किया जाए. तभी लोग समझ पाएंगे.