नई दिल्ली: कट्टरपंथी संगठन तालिबान शासित अफगानिस्तान में फंसे सिखों का एक जत्था रविवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंचा। अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने के बाद से ही ये वहां से निकलने की कोशिश कर रहे थे। जानकारी के अनुसार, यह भारत आए शरणार्थियों का अंतिम जत्था है। विदेश मंत्रालय ने इन सिखों का ई-वीजा मंजूर किया था। इसमें 38 वयस्क, 17 बच्चे और तीन शिशु शामिल हैं। वहीं, भारत पहुंचने के बाद इन शरणार्थियों ने अफगानिस्तान में खुद पर हुए नारकीय अत्याचारों को भी बयां किया है।
भारत पहुंचे अफगान सिख बलजीत सिंह ने कहा कि, अफगानिस्तान की स्थिति अच्छी नहीं है। मुझे चार माह के लिए जेल में ठूंस दिया गया था। तालिबान ने हमारे साथ धोखा किया। उन्होंने हमें जेल में डालकर हमारे केश भी काट दिए। मैं भारत सरकार का आभारी हूं और भारत आकर काफी खुश हूं। एक दुसरे शरणार्थी सुखबीर सिंह खालसा ने बताया है कि, हम भारत सरकार को धन्यवाद देना चाहते हैं, क्योंकि उन्होंने यहां आने के लिए हमें ई वीजा मुहिया करवाया। अब भी हमारे परिवार के कई सदस्य अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं। करीब 30-35 लोग अब भी वहाँ से नहीं निकल पाए हैं।
वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने कहा है कि, हम इस अंतिम जत्थे को वापस लाने के लिए विदेश मंत्रालय के साथ लगातार संपर्क में थे।’उन्होंने कहा कि पश्चिम दिल्ली के अर्जुन नगर में स्थित गुरुद्वारे में एक शरणार्थियों का स्वागत करने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। बता दें कि, इससे पहले अगस्त में 30 अफगान सिखों का जत्था भारत आया था। तालिबान ने कई बार अफगानिस्तान में सिखों के साथ हिंसा भी की थी। एक रिपोर्ट के अनुसार, इन सिखों को तालिबान ने इस्लाम कबूलने या देश छोड़ने में से एक चुनने का विकल्प भी दिया था। बता दें कि अफगानिस्तान में 2020 में करीब 700 हिंदू थे। हालांकि तालिबान के कब्जे के बाद अधिकतर सिख और हिन्दू देश छोड़ चुके हैं।
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