ऐसा लगता है यूपी विधान सभा चुनाव के आए ताजे नतीजों से हैरान कांग्रेस अभी भी वास्तविकता को स्वीकार नही करना चाहती. शायद इसीलिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला ने यूपी विधान सभा के चुनाव परिणामों का स्वागत करते हुए इसे विकास की हार और वोट बैंक राजनीति की जीत बताया है.
गौरतलब है कि मुलायम सिंह से हुए पारिवारिक विवाद के बाद ही सपा के अखिलेश यादव और कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बीच गठबंधन किये जाने पर सहमति बनी थी. साइकिल और पंजे के साथ ने जीत की कल्पनाएं की थी. इस चुनावी समर में जहां बयानों में सीमाओं का उल्लंघन नजर आया , वहीं गधे जैसे निरीह प्राणी को भी चुनावी मुद्दा बनाया गया.
बता दें कि इस बार परिवर्तन का मानस बना चुके यूपी के मतदाताओं ने जो मौन क्रांति की उसकी कल्पना किसी भी दल ने नहीं की थी. जहाँ तक यूपी में विकास का सवाल है, तो भले ही अखिलेश ने ' काम बोलता है' का नारा दिया था, लेकिन यूपी में कितना विकास हुआ इसे वहां की जनता से बेहतर कौन जानता था.अतः कांग्रेस के नेता राजीव शुक्ला की विकास की हार की बात हजम नहीं हो रही है. वहीं अगर शुक्ला के वोट बैंक की राजनीति की जीत बताने की बात है तो यह बात भी इसलिए ख़ारिज योग्य है क्योंकि उनकी ही पार्टी पर एक धर्म विशेष के लोगों की वोट बैंक की राजनीति कर तुष्टिकरण करने के आरोप लगते रहे हैं. ऐसी दशा में इस जीत को राजनीतिक चश्में से देखना उचित नहीं कहा जा सकता है. यह तो एक तरह से यूपी के जनादेश का अपमान है.
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