लखनऊ: कभी प्रयागराज में आतंक का पर्याय हुआ करता था समाजवादी पार्टी (सपा) का पूर्व सांसद माफिया अतीक अहमद। वह चाहता तो पूरा शहर ठहर जाता और वह चाहता तो सब उसके पीछे-पीछे चल पड़ते। मगर, मौत के बाद अतीक का वो रसूख, वो दहशत, सब उसके शरीर के साथ ही मिट्टी में मिल गया। दरअसल, 40वें पर अतीक और उसके भाई अशरफ की कब्र पर एक रिश्तेदार भी नहीं पहुंचा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों की कब्र पर फूल चढ़ाने और चादरपोशी की रिवाज निभाने के लिए भी कोई नहीं पहुंचा।
बता दें कि, इस्लाम में मौत के 40वें दिन की काफी मान्यता है। इस दिन मृतक के परिजन, रिश्तेदार कब्र पर आकर चादर, फूले चढ़ाते हैं और फातिहा पढ़ते हैं। 40वें दिन परिजन मृतक की कब्र पर जाकर उसकी रूह के सुकून के लिए दुआ माँगते हैं। मगर, रिपोर्ट बताती हैं कि, गुरुवार (25 मई) को ऐसा कुछ भी अतीक और अशरफ की कब्र पर देखने को नहीं मिला। प्रयागराज के जिस कसारी-मसारी कब्रिस्तान में माफिया भाइयों को दफन किया गया है, वहाँ पूरे दिन कोई झाँकने तक नहीं आया। दरअसल, पहले कहा जा रहा था कि अतीक की बीवी शाइस्ता परवीन और अशरफ की बीवी जैनब 40वें की रस्म अदायगी के लिए कब्रिस्तान पहुँच सकती हैं, मगर, वो नहीं आई।
बता दें कि, फरवरी में बसपा विधायक राजू पाल (2005) की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल के दिनदहाड़े क़त्ल के बाद से ही शाइस्ता फरार है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने अब उसे भी माफिया घोषित कर रखा है। वह अतीक को दफन किए जाने के दिन भी कब्रिस्तान नहीं आई थी। हालाँकि, बाद में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया था कि वह उस दिन प्रयागराज में ही थी। मगर, पुलिस के कड़े बंदोबस्त के कारण कब्रिस्तान नहीं गई।
बता दें कि, अतीक के 2 बेटे जेल में कैद हैं और दो नाबालिग बेटे सुधार गृह में हैं। उमेश पाल की हत्या में आरोपित बेटा असद पुलिस एनकाउंटर में मारा जा चुका है। बेटे असद के एनकाउंटर के बाद उसे दफ़नाने के समय भी शाइस्ता सामने नहीं आई थी। अतीक अहमद के कई अन्य रिश्तेदार भी फरार बताए जा रहे हैं। माफिया भाइयों को दफन करने के दिन ससुर हारुन और बहनोई उस्मान अहमद कब्रिस्तान आए थे। मगर 40वें पर वे भी नहीं आए। ध्यान रहे कि अतीक अहमद और अशरफ की 3 शूटरों ने मीडिया के सामने गोली मारकर हत्या कर दी थी। तीनों शूटर फ़िलहाल पुलिस की गिरफ्त में हैं।
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