ओम पुरी साहब भले ही अब हमारे बीच नहीं हो लेकिन उनकी सादगी और सरलता हमेशा याद की जाएगी। हाल ही में एक हिंदी अख़बार ने ओम पुरीसाहब की सरलता के किस्से बताये। इस खबर के मुताबिक, 2014 में संगीत नाटक अकादमी में लखनऊ लिटरेचर कार्निवल की पहली शाम ओम पुरी साहब से मुलाक़ात हुई। इस दौरान वे बाहर की तरफ चल पड़े। उन्होंने एक सिगरेट सुलगा ली।
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इस पत्रकार के मुताबिक, बात करते-करते वह एक रिक्शे वाले से मुखातिब हो गए। रिक्शे के पास जाकर बोले, कैसे हो? रिक्शेवाले ने बिना भाव लाए अपना कुशल हाल बताया। इसके ओम पुरी समझ गए थे कि उन्हें पहचान नहीं सका है। इसके बाद वह बोले, मुझे पहचानते हो? रिक्शेवाले ने फिर गौर से देखा और फिर खुशी जताते हुए बोला- बहुत सारी पिक्चरें देखी हैं आपकी। रिक्शेवाला आगे कुछ बोलता इससे पहले ओमपुरी उसे चुप करवाने लगे। बोले, धीमे (अपने होठों पर उंगली रखते हुए)। पूछा- कमा लेते हो इतना कि पिक्चर देख सको? जवाब आया कि कभी-कभी बच्चों की जिद पर देख लेते हैं।
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इसके बाद वे बोले बीड़ी पीते हो? जवाब मिला, हां। बोले, पिलाओ हमें भी एक। रिक्शेवाले की दी हुई बीड़ी सुलगाई और वापस अकादमी की तरफ चल पड़े।
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