नई दिल्ली: देश में कोरोना वैक्सीन की प्रभावशीलता को लेकर एक और अध्ययन हुआ है. ये अध्ययन दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल ने की है. इस अध्ययन में सामने आया है कि टीके की एक डोज सिम्प्टोमैटिक मरीजों पर कारगर नहीं है. सामने ये भी आया है कि दोनों डोज से मौत का खतरा 97 फीसद तक घट जाता है.
गंगाराम अस्पताल ने ये अध्ययन इस साल 1 मार्च से 31 मई के मध्य किया था. ये वो समय था जब दिल्ली में डेल्टा वैरिएंट (Delta Variant) कहर बरपा रहा था. ये अध्ययन अस्पताल के कर्मचारियों पर ही किया गया है. अस्पताल ने बताया कि 30 अप्रैल तक उसके 4,296 कर्मचारियों में से 2,716 को कोविशील्ड की दोनों खुराक और 623 को एक खुराक लग चुकी थी. वहीं स्टडी में 927 लोग ऐसे भी थे, जिन्हें एक भी डोज नहीं लगी थी. अस्पताल ने बताया कि उसके 560 कर्मचारियों की RTPCR रिपोर्ट सकारात्मक आई थी. इनमें से 458 को हल्के, 57 को सामान्य और 26 को गंभीर लक्षण थे. 6 की मौत भी हो गई थी.
अध्ययन में सामने आया कि टीके की दोनों खुराक भी सिम्प्टोमैटिक मरीजों पर असरदार नहीं है. उस समय कोविशील्ड (Covishield) की दो खुराक 30 दिन के अंतर से ही दी जाती थी. स्टडी मे आया कि वैक्सीन की दोनों खुराक सिम्प्टोमैटिक मरीजों पर सिर्फ 28 फीसद कारगर है. जबकि, हल्के और मध्यम मरीजों पर ये 67 फीसद तक असरदार है. हालांकि, अच्छी बात ये है कि दोनों डोज के बाद मौत का खतरा 97 फीसद तक घट जाता है.
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