लखनऊ: उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत के एक सप्ताह बाद विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मंगलवार को करीब 300 पन्नों की रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में भगदड़ का मुख्य कारण भीड़भाड़ बताया गया है और साजिश की संभावना से इनकार नहीं किया गया है।
एसआईटी रिपोर्ट के जवाब में उत्तर प्रदेश सरकार ने स्थानीय सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम), एक सर्किल अधिकारी और चार अन्य को निलंबित कर दिया। एसआईटी ने घटना की गहन जांच की सिफारिश की और स्थानीय प्रशासन की विफलताओं को उजागर किया, जिसने इस त्रासदी में योगदान दिया। रिपोर्ट में कार्यक्रम आयोजकों को भीड़ को नियंत्रित करने में उनकी विफलता का हवाला देते हुए भगदड़ के लिए जिम्मेदार ठहराया गया। इसने स्थानीय पुलिस और प्रशासन को कार्यक्रम को गंभीरता से न लेने और वरिष्ठ अधिकारियों को ठीक से सूचित न करने के लिए भी दोषी ठहराया। जांच से पता चला कि सत्संग में 2 लाख से अधिक लोग शामिल हुए थे, जबकि केवल 80,000 लोगों के लिए अनुमति दी गई थी।
रिपोर्ट में प्रत्यक्षदर्शियों के बयान और प्रभावित परिवारों की गवाही शामिल है
एसआईटी रिपोर्ट में हाथरस के जिला मजिस्ट्रेट आशीष कुमार, पुलिस अधीक्षक निपुण अग्रवाल, एसडीएम और अन्य अधिकारियों सहित 119 व्यक्तियों के बयान शामिल किए गए हैं। 2 जुलाई की भगदड़ के दौरान ड्यूटी पर मौजूद पुलिस अधिकारियों के बयानों के साथ-साथ प्रभावित परिवारों और कई प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही भी शामिल की गई है। इससे पहले, उत्तर प्रदेश न्यायिक आयोग ने भगदड़ के संबंध में कई प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज किए थे।
हाथरस भगदड़ पर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस भगदड़ की जांच की मांग करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई की तारीख की घोषणा की। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दायर याचिका की लिस्टिंग की पुष्टि की, जिसमें घटना की जांच के लिए सेवानिवृत्त शीर्ष अदालत के न्यायाधीश की निगरानी में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति के गठन की मांग की गई है। जनहित याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार से स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने और जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का भी अनुरोध किया गया है।
हाथरस भगदड़ मामले में गिरफ्तारियां और कानूनी कार्यवाही
6 जुलाई को भगदड़ के सिलसिले में भोले बाबा, जिनका असली नाम सूरज पाल सिंह है, के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। बाबा ने घटना पर अपनी पीड़ा व्यक्त की और प्रभावित परिवारों से न्यायपालिका पर भरोसा रखने का आग्रह किया।
भगदड़ का मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर 5 जुलाई को राष्ट्रीय राजधानी में फरार होने के बाद पकड़ा गया था। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेशी के बाद उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में रखा गया था। उसकी गिरफ्तारी में मदद करने वाली सूचना देने वाले को 1 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था। इसके अलावा दो अन्य आरोपी रामप्रकाश शाक्य और संजू यादव को भी गिरफ्तार किया गया। बाबा के वकील एपी सिंह ने दावा किया कि भगदड़ अज्ञात लोगों के कारण हुई, जिन्होंने कार्यक्रम में जहर छिड़क दिया था। उन्होंने कहा कि अराजकता फैलाने के बाद षड्यंत्रकारियों का एक समूह मौके से भाग गया।
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