पद्मश्री सितार वादक अब्दुल हलीम जफर खान (88) का बुधवार को निधन हो गया। खान साहब 'सितार त्रयी' के आखिरी जीवित कलाकार थे जिसमें पंडित रविशंकर, उस्ताद विलायत खान भी शामिल थे। बता दें, वे इंदौर घराने के कलाकार थे और 'जफरखानी बाज' शैली के लिए पहचाने जाते थे। उन्हें पद्मश्री के अलावा पद्म भूषण और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था। इस महान सितार वादक का जन्म जावरा (मप्र) में हुआ था।
वेस्टर्न म्यूजिक में नहीं है पहले वाली बात: अनुराधा पौडवाल
'जफरखानी बाज' बनी पहचान
वे सितार जगत के जानेमाने कलाकार थे। इस क्षेत्र के सबसे बड़े कलाकारों में पं. रविशंकर, पं. निखिल बैनर्जी, उस्ताद विलायत खां, उस्ताद मुश्ताक अली खान जैसे पांच सितारों में से वे भी एक थे। उनकी पहचान असली 'जफरखानी बाज' शैली थी। इस शैली ने उन्हें दूसरों से अलग पहचान बनाने में कामयाबी हासिल हुई।
बतादें, इस शैली को उन्होंने अपने शागिर्दों को भी सिखाया। उनके दो शार्गिद खास हैं। एक उनके पुत्र जुनैन ए. खान और दूसरे कोलकाता के हरशंकर भट्टाचार्य हैं। इस मौके पर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने भी शोक ज़ाहिर किया है। सीएम ने उन्हें मध्यप्रदेश संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया।
छोटा कद होने के कारण माँ ने बेचा सर्कस में, अब करते हैं फिल्मों में काम