नई दिल्ली: विपक्षी पार्टियों की एकजुटता पर उठ रहे सवालों को सांप्रदायिक सोच वाले 'विशेष तबके' की रणनीति का परिणाम बताते हुए माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा है कि इस चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) जैसे धुर विरोधी भी एकसाथ आए हैं.
यह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की घातक नीतियों के विरुद्ध बने जनमानस का ही परिणाम है, जिसने देशहित में जन्मजात सियासी विरोधियों के मिलने की जमीन तैयार की. येचुरी ने प्रेस वालों को बताया है कि इस चुनाव का उद्देश्य सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं है बल्कि भाजपा-आरएसएस की विघटन नीतियों से देश को छुटकारा दिलाना है. इसलिए यह चुनाव आज़ाद भारत का सबसे महत्वपूर्ण चुनाव बन गया है.
उन्होंने कहा है कि, 'पिछले पांच वर्षों में समाज को तोड़ने और देश और आम जनता को आर्थिक बदहाली में धकेलने वाली मोदी सरकार की नीतियों से खफा लोगों ने सत्ता परिवर्तन का माहौल बना लिया है. इसे समझते हुए ही सपा, बसपा और तेदेपा, कांग्रेस जैसे बड़ी राजनितिक पार्टियां इस चुनाव में एक साथ आए हैं.’’ वामदलों के अलग थलग पड़ने के प्रश्न पर येचुरी ने कहा है कि सांप्रदायिक सोच वाला एक विशेष वर्ग है, जो वामदल और अन्य विपक्षी दलों में दरार की धारणा को फैलाने में लगा हुआ है. वामदलों समेत पूरा विपक्ष मोदी सरकार को हटाने के लिए एकसाथ खड़ा हुआ है.
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