'मेरे देश की धरती सोना उगले, उसले हीरे मोती' यह गाना देश की वर्तमान स्थिति पर कुछ-कुछ सटीक बैठता है. दरअसल इन दिनों देश की धरती सोना नहीं बल्कि पैसे उगल रही है. मोदी सरकार ने काले धन को रोकने के लिए नोटबंदी की घोषणा क्या की, देश ने इतना काला धन उगल दिया कि इसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की होगी. जहाँ उम्मीद थी वहां से तो नहीं निकला, लेकिन जहाँ उम्मीद नहीं थी वहां से छप्पर फाड़ के निकला, बाथरूम की टाइल्स तोड़ के निकला. हर तरफ से पैसा निकला. नदियों में पैसा, नालों में पैसा, गड्डों में पैसा, दीवारों में पैसा, बाथरूम में पैसा, सूटकेस में पैसा, जहाँ से भी निकला सब को हैरान कर दिया. इंसानी दिमाग पैसे को छुपाने के लिए जीतने भी हथकंडे अपना सकता था उसने अपनाएं, लेकिन ये मुद्रा भी मुसीबत वाली निकली. वो सब बंधन तोड़ के सबके सामने आ गई और जब यह सामने आई तो सामने आया पैसे का काला सच. जिसे देख मुँह से निकल पड़ता है, 'ये दुनिया है काला बाजार और रोए जनता लाचार, ये पैसा बोलता है.'
जिसे ढूंढता है तू हर कहीं, वो पैसा है यहाँ
जिस पैसे को जनता बैंक और ATM में ढूंढ रही है, वो पैसा ऐसी जगहों से निकला कि रेड मारने वालों का भी मुँह खुला का खुला रहा गया. पिछले दिनों कर्नाटक में एक ऐसा ही मामला सामने आया. आयकर विभाग ने कर्नाटक में एक हवाला कारोबारी के पास 5.7 करोड़ से अधिक के नए और 90 लाख से ज्यादा के पुराने नोट जब्त किए. इस कारोबारी ने इन नोटों को अपने बाथरूम के एक खुफिया चेंबर में रखा हुआ था. इसके अलावा दिल्ली के लॉ फर्म में भी आयकर विभाग के अधिकारियों को करोड़ो रूपये मिले. यहाँ अलमारी, बैग और पोलेथिन की थैलियों में पैसे छुपाकर रखे थे. इसमें नए और पुराने दोनों तरह के करोड़ो नोट थे, लेकिन आयकर अधिकारियों को इन गुलाबी नोटों की खुशबू आ गई और पकड़ा गया करोड़ो का काला धन. 8 नवम्बर के बाद से देश के हर हिस्से से रूपये निकलने का जो सिलसिला शुरू हुआ, वो अब तक चल रहा है. एक अनुमान के अनुसार अब तक 8 नवम्बर के बाद से 1000 करोड़ से अधिक का काला धन जब्त किया जा चुका है.
कहाँ से आया पैसा
एक तरफ तो देश की आम जनता पैसे के लिए बैंकों में मारी-मारी फिर रही है, वहीँ दूसरी तरफ कुछ लोगों के पास इतना पैसा निकलना अपने आप में बड़ी बात है. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की, तब लोगों को इतना आश्चर्य नहीं हुआ था, जितना इतनी बड़ी मात्रा में पैसा निकलता देखकर हुआ. सरकार ने काला धन ख़त्म करने के लिए नोटों को गुलाबी क्या किया, धनकुबेरों को गुलाबी होटों की तरह गुलाबी नोट भी खूब पसन्द आए. गुलाबी नोटों को देखकर, इनका दिल भी खूब ख़राब हुआ. फिर इन्होंने शुरू किया काले धन को गुलाबी करने का खेल. इस बीच सबसे बड़ी बात यह है कि जब सरकार ने हर हफ्ते पैसे निकालने की लिमिट 24 हजार की हुई है तो इन धनकुबेरों के पास इतना पैसा आया कहाँ से? संभव है कि यह सब बैंक अधिकारियों की मिली भगत से हुआ हो? वैसे भी अब तक बैंक और RBI के कई अधिकारियों को इस मामले में पकड़ा जा चूका है.
कैसे सफल होगी नोट बंदी
भले ही अभी तक करोड़ो रूपये का काला धन सरकार ने जब्त कर लिया हो लेकिन संभव है कि अभी भी करोड़ो रूपये आयकर विभाग की पहुँच से दूर हो? ऐसे में सवाल उठता है कि अभी से ही लोगों ने नए नोटों को कालेधन के रूप में इकट्ठा कर लिया तो फिर नोटबंदी का फायदा क्या? क्या देश की जनता जो इतने दिनों से सब्र के साथ लाइन में लगी है, उसे इसका कुछ फायदा मिलेगा? जब धनकुबेर अपने कालेधन को गुलाबी कर लेंगे तो फिर नोटबंदी का ही क्या मतलब? ऐसे में सरकार को अगर नोटबंदी को सफल बनाना है तो उसे बैंकों के माध्यम से हो रही गड़बड़ियों को रोकना होगा और जनता के बीच ज्यादा मात्रा में नए नोट लाने होंगे. क्यों कि जनता को काफी परेशानियां झेलनी पड़ रही है, फिर भी वह चुपचाप सब सह रही है, लेकिन अगर नोटबंदी का फायदा नहीं हुआ और जनता की परेशानियां कम नहीं हुई तो, यह फूल अगर बन गया अंगारा, तो बिजली बनकर वो ऐसा गिरेगा की फूंक देगा नोटबंदी की सरकार को.
कपिल माली