रोश्नी को अगर दवा कहा जाए तो गलत नहीं होगा. लेकिन जैसे कि हर दवा अति में ली जाए तो वह नुकसादेय होती है, ठीक इसी तरह रोशनी पर भी यही नियम लागू होता है. यदि हम रात को कृत्रित रोशनी अपने इर्द-गिर्द जलाए रखते हैं तो इससे हमारे शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
इससे हमारी नींद प्रभावित होती जिस कारण हमारा ब्लड प्रेशर में असामान्य उतार चढ़ाव आ सकता है. दरअसल कृत्रिम रोशनी हमारे मस्तिष्क पर असर डालती है. अतः यह रोशनी रात के समय के लिए सही नहीं है.
सोने पहले यदि आप कृत्रिम बिजली बंद नहीं करते तो आपका शरीर उस रोशनी से प्रभावित होता है. बंद आंखें भी इस बात को जान रही होती है कि बिजली जल रही है. नतीजत गहरी नींद नहीं आ पाती. आपने यदि गौर किया हो तो कभी भी फोन या टैबलेट की अचानक लाइट जल जाने से हमारी नींद खुल जाती है. मतलब साफ है कि कृत्रिम बिजली के कारण गहरी नींद नहीं हो पाती. यह स्वास्थ्य के लिहाज से सही नहीं है. अतः सोने से पहले रोशनी आवश्यक रूप में बंद करें.
ठीक ठीक वजह के बारे में तो नहीं कहा जा सकता लेकिन यह सुनिश्चित है कि यदि हम रात को सोते समय रोशनी जलाकर रखते हैं तो इसका रिश्ता कैंसर जैसी घातक बीमारी से है. इस सम्बंध में 10 साल तक हुए एक अध्ययन से इस बात की पुष्टि हुई है कि सोने के माहौल में यदि रोशनी हो तो ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका में 22 फीसदी की बढ़ोत्तरी होती है. जबकि अंधेरे में सोने वाली महिला को इस तरह का कोई रिस्क नहीं होता.
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