लखनऊ: दिल्ली-एनसीआर के लोग हरियाणा और पंजाब में जलाई जाने वाली पराली के धुएं से काफी परेशान हैं। इस पराली के जलाने से न केवल पर्यावरण को नुकसान होता है, बल्कि किसानों के लिए भी यह एक चुनौती बन गई है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के एक किसान, ज्ञानेश तिवारी ने इस समस्या को कमाई का जरिया बना लिया है। वह पराली को इकट्ठा करके उससे पशुओं के लिए चारा और जैविक खाद बनाते हैं।
शाहजहांपुर के निगोही ब्लॉक के नवीपुर गांव के निवासी ज्ञानेश तिवारी "कामधेनु डेयरी" के नाम से एक डेयरी फार्म चलाते हैं। उन्होंने बताया कि पराली प्रबंधन के जरिए वह लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं। उनकी यह पहल न केवल उन्हें आर्थिक लाभ दे रही है, बल्कि पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को भी कम कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कई राज्यों में पराली जलाने के कारण किसानों पर मुकदमे दर्ज हो रहे हैं, पर उन्होंने इस समस्या का हल खोज निकाला है।
ज्ञानेश तिवारी ने अपनी डेयरी फार्म पर पराली को जैविक खाद में बदलने के लिए पिट विधि और केंचुओं का इस्तेमाल किया। इसके अलावा, वे पराली का कुछ हिस्सा भूसे के तौर पर जानवरों को चारे के रूप में भी देते हैं। उन्होंने बताया कि इस कार्य से उन्हें 8 से 10 लाख रुपये की कमाई होती है, और साथ ही एक दर्जन से अधिक लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। उनका मानना है कि यदि इसी तरह के उपाय अन्य गोशालाओं में भी अपनाए जाएं, तो पराली की समस्या हल हो सकती है, और साथ ही गोशालाओं के खर्च में भी कमी लाई जा सकती है।
'3 वर्ष से छोटे बच्चे को गोद लेने..', SC ने केंद्र से क्या जवाब माँगा?
'मुस्लिम वोट-बैंक के लिए अपने परिवार का बलिदान भूले खड़गे..', ऐसा क्यों बोले सीएम योगी?
'नड्डा-शाह के हेलीकाप्टर की भी हुई चेकिंग..', उद्धव के आरोपों पर बोला चुनाव आयोग