स्मोकिंग से जुड़े ये कुछ मिथ, जबकि सच्चाई है कुछ और

स्मोकिंग से जुड़े ये कुछ मिथ, जबकि सच्चाई है कुछ और
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वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन के अनुसार, विश्व भर में प्रत्येक वर्ष लगभग 64 लाख लोगों की मौत स्मोकिंग के कारण होती है. इस 64 लाख में से 9 लाख मौत भारत देश में होती है. कुछ लोगों का मानना है कि यदि डाइट और खान-पान अच्छा हो तो बॉडी पर इसका नकारात्मक प्रभाव कम पड़ता है, किन्तु यह सच नहीं है. इस तरह की कई भ्रम हमारे आपस स्मोकिंग को लेकर फैले हुए है.

सिगरेट पीने का असर सीधे लंग्स पर पड़ता है. अच्छे खान-पान का सिगरेट पीने से कोई संबंध नहीं है. लाइट या माइल्ड सिगरेट अधिक नुकसान नहीं पहुँचाती है, ये भी एक भ्रान्ति है जबकि सच ये है कि लाइट सिगरेट पीते समय स्मोकर्स अधिक तेजी से धुआँ खींचते है, जिससे स्वास्थ्य पर असर होता है. ई-सिगरेट में भी नार्मल सिगरेट की तरह नुकसान पहुंचाने वाले तत्व मौजूद होते है. इससे भी कैंसर जैसी समस्या हो सकती है.

सिगरेट में मौजूद निकोटिन और टार ही सिर्फ नुकसान नहीं पहुंचाते बल्कि इसमें एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन जैसे कई नुकसान पहुंचाने वाले केमिकल होते है, जो कैंसर की बीमारी देते है. ऐसा भी कहा जाता है कि कम सिगरेट पीने से सेहत पर नुकसान कम होता है, किन्तु ये सच नहीं है. दिनभर में चाहे एक सिगरेट पी जाये या दो, इससे लंग्स को नुकसान पहुँचता है. सिगरेट की मात्रा कम करने से इसे पीने की तलब बढ़ती है. इसलिए स्मोकिंग छोड़ना ही बेहतर होता है.

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