नाग पंचमी का त्यौहार हिन्दू धर्म के बड़े त्यौहारों में शुमार है। नाग पंचमी का विशेष त्यौहार इस बार शनिवार, 25 जुलाई को मनाया जाएगा। पूरा देश इस दिन मंदिरों और अपने घरों में नाग देवता की पूजा करता है। नाग देवता को पंचमी तिथि का स्वामी कहा जाता है। सावन माह की शुक्ल पंचमी के दिन हर साल यह त्यौहार मनाया जाता है। आज हम आपको बताएंगे कि नागदेवता का हिन्दू धर्म में एक विशेष स्थान है। उनका संबंध ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही देवताओं से रहा है, जानिए कैसे ?
नाग देवता का ब्रह्मा जी से संबंध
इस संसार की रचना करने वाले देवता ब्रह्मा जी ने इस दिन यानी कि सावन की शुक्ल पंचमी को अपनी कृपा से शेषनाग को अलंकृत किया था और शेषनाग द्वारा बाद में इस पूरी पृथ्वी का भार अपने सिर पर धारण किया गया था। इसके बाद से ही लोगों ने नागदेवता का पूजन शुरू कर दिया था।
नाग देवता का भगवान विष्णु से संबंध
इस दुनिया के पालनहारी भगवान विष्णु जी से भी नाग देवता का गहरा संबंध है। आप इस बात से भली-भांति परिचित होंगे कि विष्णु जी शेषनाग की शैय्या पर क्षीर सागर में विराजमान रहते हैं। अतः विष्णु जी के साथ ही नाग देवता की पूजा का भी विधान है।
नाग देवता का भगवान शिव से संबंध
भगवान शिव से भी नाग देवता का विशेष संबंध है। नाग देवता भगवान शिव के आभूषणों के रूप में पहचाने जाते हैं। भगवान शिव के गले में सदा नाग देवता विराजित रहते हैं। भगवान शिव के सांप का नाम वासुकि है। शिवलिंग के साथ भी हमेशा नाग देवता देखने को मिलते हैं। अतः शिव जी के साथ भी नाग देवता की पूजा की जाती है।
नाग पंचमी 2020 : इस बार कब मनाया जाएगा यह त्यौहार और क्या है इसका महत्त्व ?