हरियाणा में इस बार अगस्त माह में लोगों को उमस भरी गर्मी का मुकाबला करना पड़ा था. इसकी वजह है सामान्य से कम बारिश होना. राज्य में अबतक अगस्त माह में सामान्य से 52 प्रतिशत कम बारिश हुई है, जिससे किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें हैं. कम बारिश के कारण खरीफ सीजन में फसलों की बिजाई भी बीते वर्ष के मुकाबले 20 हजार एकड़ तक पिछड़ गई है.
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बीते वर्ष अब तक 28.55 लाख हेक्टेयर में खरीफ की फसल बोई गई थी. जबकि इस बार यह आंकड़ा 28.47 लाख हेक्टेयर तक जा सकता है. यही हालात रहे तो धान सहित अन्य फसलों के लिए परेशानी बढ़ सकती है. क्योंकि इन दिनों में उमस ज्यादा है और फसलों को पानी की आवश्यकता होती है.
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मौसम के जानकारों का मानना है कि 3 दिनों में और बरसात हो सकती है, इससे बरसात की बहुत हद तक कमी दूर हो सकती है। कहीं-कहीं भारी बरसात होने के आशंका है. वहीं मानसून सीजन यानी एक जून से 12 अगस्त तक करनाल में 520 एमएम बारिश हुई है जो सामान्य से 59 प्रतिशत ज्यादा है. कुरुक्षेत्र में 447 एमएम 40 फीसदी अधिक और कैथल में 408 एमएम यानी 86 फीसदी अधिक बरसात हुई है. अबकी बार प्रदेश में 30.56 लाख हेक्टेयर में फसलों की बिजाई खरीफ सीजन में होनी है, इसमें से 28.47 लाख हेक्टेयर में बिजाई हो चुकी है जो लक्ष्य का करीब 93 फीसदी है. वही, अगस्त में प्रदेश में नौ जिलों में कम, एक में बहुत कम, सात जिलों में सामान्य, तीन जिलों में सामान्य से अधिक और एक जिले में बहुत अधिक बरसात हुई है. इसका सबसे बड़ा कारण एंटी साइक्लोन निरंतर बनना है, मानसून की सक्रियता अब फिर से बढ़ी तो ही किसानों को राहत मिल सकती है. इससे भू-जल स्तर भी बढ़ेगा, राज्य में औसतन भू-जल 21 मीटर तक नीचे जा चुका है.
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