नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में भारत के कार्यकारी निदेशक कृष्णमूर्ति वेंकट सुब्रमण्यम ने कहा कि यदि देश पिछले 10 वर्षों में लागू की गई अच्छी नीतियों को दोगुना कर सके और सुधारों में तेजी ला सके तो भारतीय अर्थव्यवस्था 2047 तक 8 प्रतिशत या उससे अधिक की दर से बढ़ सकती है। सुब्रमण्यम ने आगे कहा कि स्पष्ट रूप से 8 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य महत्वाकांक्षी है, क्योंकि भारत पहले लगातार 8 प्रतिशत की दर से नहीं बढ़ पाया है, लेकिन इसे हासिल किया जा सकता है।
उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि, "तो, मूल विचार यह है कि भारत ने पिछले 10 वर्षों में जिस तरह की वृद्धि दर्ज की है, अगर हम उन अच्छी नीतियों को दोगुना कर सकते हैं जिन्हें हमने पिछले 10 वर्षों में लागू किया है और सुधारों में तेजी ला सकते हैं, तो भारत से 2047 तक 8 प्रतिशत की रफ़्तार से आगे बढ़ सकता है।' उल्लेखनीय है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2023 के अंतिम तीन महीनों में उम्मीद से बेहतर 8.4 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जो पिछले डेढ़ साल में सबसे तेज़ गति है। अक्टूबर-दिसंबर में विकास दर ने चालू वित्त वर्ष के अनुमान को 7.6 प्रतिशत तक ले जाने में मदद की।
इसको देखते हुए सुब्रमण्यन ने कहा कि, "और अगर भारत 8 प्रतिशत की दर से बढ़ता है, तो भारत 20147 तक 55 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है।" उन्होंने बताया कि ऐतिहासिक रूप से 1991 के बाद से, भारत की औसत वृद्धि 7 प्रतिशत से थोड़ी अधिक रही है। सुब्रमण्यम ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है क्योंकि देश की जीडीपी का लगभग 58 प्रतिशत घरेलू उपभोग से आता है। उन्होंने कहा, "इसलिए, आप जानते हैं, हमारे पास क्षमता है अगर हम पर्याप्त नौकरियां पैदा कर सकें, तो आप जानते हैं, इससे बहुत अधिक खपत होगी।"
भारत के IMF के कार्यकारी निदेशक ने रोजगार सृजन के लिए विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि भूमि, श्रम, पूंजी और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है। सुब्रमण्यन ने कहा, "विनिर्माण क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है, लेकिन साथ ही, हमें विनिर्माण क्षेत्र के लिए ऋण प्रदान करने के लिए अपने बैंकिंग क्षेत्र में भी सुधार की आवश्यकता है।"
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