इंदौर: मध्य प्रदेश के इंदौर शहर को भिक्षावृत्ति से मुक्त शहर बनाने के उद्देश्य से महिला एवं बाल विकास विभाग ने व्यापक अभियान आरम्भ किया है। इस अभियान के तहत अब तक 14 भिक्षुओं को पकड़ा गया है। विशेष कार्रवाई के चलते राजवाड़ा क्षेत्र के शनि मंदिर के पास भीख मांग रही एक महिला के पास से 75,000 रुपये बरामद हुए। यह राशि उसने मात्र 10-12 दिनों में भिक्षा मांगकर एकत्रित की थी। इस घटना ने भिक्षावृत्ति के बढ़ते आर्थिक पहलू को उजागर किया है।
अभियान का उद्देश्य:-
यह अभियान फरवरी 2024 में कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देशन में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य इंदौर को भिक्षुक मुक्त बनाना तथा भिक्षावृत्ति में लिप्त लोगों को मुख्यधारा में जोड़ना है। इसके तहत शहर के विभिन्न हिस्सों जैसे प्रमुख बाजार, मंदिर, और अन्य धार्मिक स्थलों पर सक्रिय भिक्षुओं पर कार्रवाई की जा रही है।
राजवाड़ा से पकड़ी गई महिला
परियोजना अफसर दिनेश मिश्रा ने बताया कि राजवाड़ा स्थित शनि मंदिर के पास भीख मांग रही एक महिला को उनकी टीम ने पकड़ा। जब उसकी साड़ी की तलाशी ली गई, तो उसमें से 75,000 रुपये नकद बरामद हुए। यह राशि उसने 10-12 दिनों के भीतर जुटाई थी। तहकीकात में यह भी सामने आया कि महिला इंदौर के पालदा क्षेत्र की रहने वाली है। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि भिक्षावृत्ति अब सिर्फ आवश्यकता तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह कई लोगों के लिए नियमित आय का स्रोत बन गई है।
आगे की कार्रवाई
महिला एवं बाल विकास विभाग ने पकड़े गए सभी भिक्षुओं को उज्जैन के सेवा धाम आश्रम भेज दिया है। आश्रम में इनकी काउंसलिंग की जा रही है, जिसमें उन्हें भिक्षावृत्ति छोड़ने और सम्मानजनक जीवन जीने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। काउंसलिंग सत्र में उनके पुनर्वास की योजना भी बनाई जा रही है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें और समाज की मुख्यधारा में सम्मिलित हो सकें।
परियोजना अफसर ने बताया कि इंदौर में कुछ परिवार ऐसे हैं जो बार-बार पकड़े जाने के बावजूद भिक्षावृत्ति में लिप्त रहते हैं। इन परिवारों की आदत और भिक्षावृत्ति से होने वाली आय उनके इस कार्य को छोड़ने में बाधा बनती है। विभाग ने ऐसे लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी निगरानी और सख्त कार्रवाई करने की योजना बनाई है।
वही इस अभियान ने यह स्पष्ट किया है कि भिक्षावृत्ति न सिर्फ एक सामाजिक समस्या है, बल्कि इसके पीछे कई आर्थिक और मानसिक पहलू जुड़े हुए हैं। इस समस्या के समाधान के लिए सिर्फ प्रशासनिक कार्रवाई ही नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग की भागीदारी भी आवश्यक है।