गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार (11 अगस्त) को कहा कि भारतीय सेना मणिपुर में "कुछ भी हल नहीं कर पाएगी", और 100 दिनों से अधिक समय से जारी जातीय हिंसा का समाधान "दिल से आना चाहिए, गोलियों से नहीं"। सीएम सरमा ने पूछा कि क्या कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, जिन्होंने सुझाव दिया था कि सेना संघर्षग्रस्त पूर्वोत्तर राज्य में दो दिनों में "संघर्ष को रोक सकती है", तो क्या राहुल सेना को नागरिकों पर गोली चलाने की सलाह दे रहे हैं। सीएम सरमा ने राहुल गांधी के बयान के प्रति अपनी अस्वीकृति को रेखांकित करने के लिए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान अपने संसद संबोधन में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के मिजोरम बमबारी संदर्भ (1966 में मिजोरम में वायु सेना के विमानों का उपयोग करके भारत के अपने नागरिकों पर बमबारी) को भी दोहराया।
सीएम सरमा ने प्रेस वार्ता में कहा कि, "भारतीय वायु सेना ने आइजोल में ऐसा किया था, उन्होंने बम दागे, जबकि हिंसा कम हो रही थी। आज, राहुल गांधी कह रहे हैं कि भारतीय सेना को हिंसा को रोकना चाहिए। इसका क्या मतलब है? उन्हें नागरिकों पर गोलियां चलानी चाहिए? क्या यह उनका (कांग्रेस का) नुस्खा है? वह ऐसा कैसे कह सकते हैं। सेना कुछ भी हल करने में सक्षम नहीं होगी। वे केवल अस्थायी रूप से शांत कर पाएंगे, या दी गई स्थिति में शांति ला पाएंगे। लेकिन समाधान दिल से आना होगा, गोलियों से नहीं।"
हिमंत बिस्वा सरमा ने आगे कहा कि विपक्ष ने पहले पीएम मोदी से इस मुद्दे पर बोलने की मांग की और फिर लोकसभा में पीएम मोदी के दो घंटे से अधिक लंबे भाषण के दौरान विपक्षी सदस्य संसद से उठकर बाहर चले गए। सीएम सरमा ने कहा कि, "उनके पैंतरे पूरी तरह से उजागर हो गए हैं। विपक्ष का इरादा मणिपुर के साथ कुछ करने का नहीं था, वे केवल संसद को बाधित करना चाहते थे। वे संसद के अंदर हंगामा करना चाहते थे। लेकिन यह मणिपुर के लिए प्यार नहीं था, यह उनके निहित राजनीतिक हित के लिए था।'
सीएम सरमा ने कहा कि पीएम मोदी ने अपने दिल से और पूर्वोत्तर के लिए बात की है। उन्होंने यह भी प्रदर्शित किया कि पूर्वोत्तर के लोगों के प्रति उनके मन में कितना स्नेह है। हम बेहद खुश हैं, लेकिन विपक्ष खुश नहीं होगा। मुझे उम्मीद है कि एक प्रमुख पार्टी के रूप में विपक्ष को पीएम का भाषण अंत तक सुनना चाहिए।' बता दें कि, सीएम सरमा का यह बयान राहुल गांधी के बयान के पलटवार के रूप में आया है। दरअसल, राहुल गांधी ने शुक्रवार को आरोप लगाते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री "चाहते हैं कि मणिपुर जले और वे उसे जलने दें"। राहुल गांधी ने कहा था कि अगर सरकार हिंसा को रोकना चाहती है, तो सरकार के हाथ में ऐसे उपकरण हैं जो इसे तुरंत रोक सकते हैं, सरकार सेना का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रही है। सेना का इस्तेमाल करके फ़ौरन हिंसा रोकी जा सकती है।