तो इसलिए भगवान जगन्नाथ की मूर्ति की हथेली नहीं है

तो इसलिए भगवान जगन्नाथ की मूर्ति की हथेली नहीं है
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आज हम बात करेंगे विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ के मंदिर पूरी के विषय में, जहां भगवान जगन्नाथ की ऐसी मूर्ति है, जिसकी हंथेली नहीं है. बंगाली भाषा में इसे थूटो जगन्नाथ के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ विकलांग होता है. आइये जानते है इस मूर्ती के हंथेली न होने का क्या कारण है?एक पौराणिक कथा के अनुसार जिस समय भगवान कृष्ण ने अपने शरीर का त्याग किया तब उनका पूरा शरीर राख में परिवर्तित हो गया, लेकिन उनका ह्रदय अभी भी जीवित था, जो धड़क रहा था. उस ह्रदय को अपने हांथो में लेकर अर्जुन ने समुद्र में विसर्जित कर दिया.

समुद्र में तैरते हुए उस ह्रदय ने एक नीले रंग की मूर्ती का का रूप धारण कर लिया, जो द्वारका के पूर्वी तट पूरी में कलिंग के विश्वासु नाम के आदिवासी सरदार को मिली जिसे उस सरदार ने एक गुफा में रख दिया. इस बात की जानकारी जब राजा इन्द्र्दुयुम्न को हुई तो उसने उस मूर्ती को लेने के लिए अपने मंत्री विद्यापति को वहां भेजा. तब विश्वासु ने विद्यापति  की आँखों पर पट्टी बांध उसे गुफा के अंदर ले गया जहां मूर्ती को देखकर वह भक्ति रस से अभिभूत हो गया.

कुछ समय जब राजा इन्द्र्दुयुम्न उस मूर्ती को लेने के लिए गए तो वह मूर्ती चमत्कारिक रूप से उस गुफा से अद्रश्य हो गई थी. कुछ समय बाद राजा के सपने में एक आकाशवाणी हुई जिसमे कहा गया की पूरी के समुद्र तट पर जाओ वहां तुम्हे एक लकड़ी मिलेगी जिसपर मेरा चिन्ह बना होगा. अगली सुबह जब राजा समुद्र तट पर पहुंचा तो उसे शंख के चिन्ह वाली लकड़ी मिली जिसे उठाकर वह अपने महल ले आया. शिल्पकारों को बुलवाकर उसने उस लकड़ी की मूर्ती बनाने का आदेश दिया लेकिन कोई भी शिल्पकार उस लड़की पर एक खरोंच भी नहीं बना पाया.

एक बूढ़े व्यक्ति ने राजा से उस लकड़ी की मूर्ती बनाने का दावा किया, लेकिन इस शर्त के साथ की जब तक मूर्ती पूर्ण नहीं हो जाती कोई भी उस कमरे में आकर उसे परेशान नहीं करेगा. राजा तैयार हो गया, जब वह बूढ़ा मूर्ती बनाता तो उसकी आवाज राजा व रानी को सुनाई देती. लेकिन एक दिन उस कमरे से आवाज का आना बंद हो गया तब राजा रानी ने सोचा की शायद बूढ़ा बीमार हो गया होगा.

इस बात को अपने मन में लेकर राजा ने कमरे का दरवाजा खोला तब उसकी दृष्टि वहां रखी तीन मूर्तियों पर पड़ी जिनकी हथेलियां अभी नहीं बनी थी, राजा को अपनी जल्दबाजी के लिए बहुत खेद हुआ. राजा ने इन मूर्तियों के हांथों को पूर्ण करने की बहुत कोशिश की लेकिन उसे सफलता नहीं मिली.

एक दिन राजा को सपना आया की इन मूर्तियों को ऐसे ही मंदिर में स्थापित कर दो में इसी रूप में भक्तों को दर्शन दूंगा व मेरे भक्त ही मेरी सेवा करेंगें राजा ने ऐसा ही किया तभी से भगवान जगन्नाथ की मूर्ती इस रूप में विराजमान है.  

 

आखिर क्यों किया था भगवान कृष्ण ने छल से एकलव्य का वध ?

भगवान राम अगर यह काम नहीं करते तो टूट जाता कालचक्र

यह पांच काम जो अनजाने में किये गए पापों से दिलाते है मुक्ति

यही दो सुख व्यक्ति की सभी इच्छाओं को पूरा करते है

 

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