भगवान शिव की अर्धांगनी के रूप में जाने वाली मां दुर्गा सबके दुखों को दूर करती है। मां दुर्गा की अगर बात करें, तो मन में यह सवाल उठता है, कि आखिर कैसे दुर्गा शब्द की उत्पत्ति हुई और साथ ही कैसे मां दुर्गा अस्तित्व में आयी? इसके पीछे की अगर कथा के बारे में जानें तो यह पुरातन काल के समय की बात है, जब एक दुर्गम नाम दैत्य हुआ करता था।
दुर्गम दैत्य ने ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर सभी वेदों को अपने वश में कर लिया जिससे देवताओं का बल क्षीण हो गया और उसने देवताओं को हराकर स्वर्ग पर कब्जा कर लिया। तब देवताओं को देवी भगवती का स्मरण हुआ। देवताओं के आह्वान पर देवी प्रकट हुईं। उन्होंने देवताओं से उन्हें बुलाने का कारण पूछा। सभी देवताओं ने एक स्वर में बताया कि दुर्गम नामक दैत्य ने सभी वेद तथा स्वर्ग पर अपना अधिकार कर लिया है तथा हमें अनेक यातनाएं दी हैं। आप उसका वध कर दीजिए। देवताओं की बात सुनकर देवी ने उन्हें दुर्गम का वध करने का आश्वासन दिया।
यह बात जब दैत्य राज दुर्गम को पता चली तो उसने देवताओं पर पुन: आक्रमण कर दिया। तब माता भगवती ने देवताओं की रक्षा की और दुर्गम की सेना का संहार कर दिया। सेना का संहार होते देख दुर्गम स्वयं युद्ध करने आया। इस पर माता भगवती ने काली, तारा, छिन्नमस्ता, श्रीविद्या, भुवनेश्वरी, भैरवी, बगला आदि कई सहायक शक्तियों का आह्वान कर उन्हें भी युद्ध करने के लिए प्रेरित किया। भयंकर युद्ध के पश्चात भगवती ने दुर्गम का वध कर दिया। दुर्गम का वध करने के कारण भगवती का नाम दुर्गा के नाम से विख्यात हुआ।
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