बहुत सारे लोगो का अपने जीवन में सपना होता है कि वह विदेश यात्रा पर जाएं। लेकिन जब यह मौका आता है, तो वह इन मौकों से चूक जाते हैं। हो सकता है कि आपके साथ भी विदेश जाने के समय कोई न कोई समस्या पैदा हो ही जाती है। दरअसल ज्योतिषशास्त्र कि मानें तो विदेश यात्रा के लिए राहु गृह जिम्मेदार होता है। यह गृह सबसे ज्यादा व्यक्ति को विदेश यात्रा पर जाने में सहायता करता है। लेकिन किसी न किसी कारणवश यह मौका आपसे चूक जाता है। चलिए जानते है आज इसी के बारे में कुछ खास बातें।
कुंडली में पंचम, नवम, द्वादश भाव मूल रूप से विदेश यात्रा से संबंधित होते हैं। पाप गृहों की विदेश यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। राहु व्यक्ति को सबसे ज्यादा विदेश जाने में सहायता करता है। इसके अलावा शनि और मंगल भी सहायता करते हैं। शनि की साढ़ेसाती और ढैया भी
कब आती है बाधाएं – जब कुंडली में चंद्रमा या शुक्र मजबूत होने लगे। कुंडली में शुभ गृहों की दशा चल रही हो। जब पासपोर्ट या वीजा में 01, 05 या 09 अंक की प्रधानता हो। किसी व्यक्ति की जन्मतिथि 04, 13, 22, 31 हो तो व्यक्ति खूब विदेश जाता है या वह कभी विदेश नहीं जा पाता है। अगर कुंडली जल तत्व प्रधान हो तो विदेश जाने में बाधा आती है।
उपाय – शनि के तांत्रिक मंत्र का रोज शाम को जाप करें, मंत्र – ‘ऊं प्रां प्रीं प्रों स: शनैश्चराय नम:।’ इससे नवम भाव का स्वामी ग्रह मजबूत होता है। हल्के नीले रंग के कपड़ो का प्रयोग करें। नदी पार करके कोई यात्रा जरूर करें।
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