हिन्दू धर्म के अनुसार जब भी किसी काम की शुरूआत की जाती हैै, तो सबसे पहले भगवान गणेश का स्मरण किया जाता है। इतना ही नहीं पूजा चाहे जिस भी देवी या देवता की हो सर्वप्रथम शुरूआत भगवान गणेश के स्मरण के बाद ही अन्य देवी-देवताओं की अराधना की जाती है। अब बात यह उठती है कि आखिर ऐसा क्या हुआ, जो भगवान गणेश को सर्वप्रथम पूजने का रिवाज है। तो चलिए जानते है उस कथा के बारे में जिससे यह बात पता चलती है कि आखिर क्यों सर्वप्रथम भगवान गणेश को पूजा जाता है?
एक बार भगवान शंकर त्रिपुरासुर का वध करने जाते हैं, परंतु उन्हें सफलता नहीं मिलती। इस असफल प्रयास जानने का जब उन्होंने प्रयास किया तो गंभीरतापूर्वक विचार करने लगे कि आखिर उनके कार्य में विघ्न क्यों पड़ा। तब महादेव को ज्ञात हुआ कि वे गणेशजी की अर्चना किए बगैर त्रिपुरासुर से युद्ध करने चले गए थे। इसके बाद उन्हों ने अपने पुत्र गणेशजी का पूजन करके उन्हें लड्डुओं का भोग लगाया और दोबारा त्रिपुरासुर पर आक्रमण किया। इसके बाद ही उनका मनोरथ पूर्ण हुआ। ऐसा विश्वानस है तभी से गणेश की पूजा के बाद ही कार्य शुरू करने की परंपरा प्रारंभ हुई।
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