सोशल मीडिया हमारी जिदगी का अहम हिस्सा बन गया है। इसके अलावा जब भी थोड़ा वक्त खाली होता है, हम अपनी फेसबुक फीड, इंस्टाग्राम या ट्विटर टाइमलाइन को खंगालने लगते हैं।इसके अलावा कभी आपने ये सोचा कि सोशल मीडिया की तस्वीरें आपके जहन पर कैसा असर डालती हैं? फिर चाहे वो आपके दोस्त की छुट्टियों की तस्वीरें हों या किसी सेलेब्रिटी की जिम में ली गई फोटो। ये तस्वीरें खुद के बारे में आप की सोच किस तरह से प्रभावित करती हैं? सोशल मीडिया पर मशहूर हस्तियों की तस्वीरें बनावटी तरीके से खूबसूरत बनाकर पेश की जाती हैं। वही दुबली-पतली मॉडल की तस्वीरों को दुनिया को छरहरी काया का प्रतीक बताया जाता है। ऐसे में सोशल मीडिया पर काट-छांटकर या एडिट कर के जो तस्वीरें पेश की जाती हैं, वो लोगों की सोच पर गहरा असर डालती हैं। फ़िलहाल , सोशल मीडिया के सही इस्तेमाल से हम इन तस्वीरों को देखकर खुद को अच्छा भी महसूस करा सकते हैं या कम से कम ख़राब एहसास होने से रोक सकते हैं।
दिमाग पर पड़ता है असर
सोशल मीडिया अभी ज्यादा पुरानी चीज नहीं। तो, इसके असर को लेकर हुई रिसर्च भी अभी ज्यादा पुरानी नहीं हैं। इसलिए इन रिसर्च के आधार पर किसी नतीजे पर पहुंचना ठीक नहीं होगा। पर, इन रिसर्च से हमें कुछ इशारे जरूर मिल जाते हैं। मसलन, हम ये तो नहीं साबित कर सकते कि किसी के लगातार फेसबुक देखने से उसके अंदर नकारात्मक भाव पैदा होते हैं। पर, ये पता जरूर चल जाता है कि बार बार फेसबुक में उलझे रहने वाले लोग
अपने आप को खूबसूरत दिखाने को लेकर परेशान रहते हैं। सोशल मीडिया पर दूसरों की अच्छी तस्वीरें देखकर, लोग खुद को कमतर समझने लगते हैं। इंस्टाग्राम और दूसरे प्लेटफॉर्म पर दूसरों की अच्छी तस्वीरें ऐसा असर डालती हैं कि इससे लोगों की खुद के बारे में सोच नेगेटिव होने लगती है।इसके अलावा सोशल मीडिया पर सिर्फ नजर डालने का अलग असर होता है और अगर आप सेल्फी लेकर उसे एडिट कर के खुद को बेहतर बनाकर दुनिया के सामने पेश करते हैं, तो उसका मानसिक असर होता है। क्योंकि आप सेलेब्रिटी या फिर उन लोगों से प्रभावित होते हैं, जो आप की नजर में खूबसूरत या हैंडसम हैं। रिसर्च से ये पता चलता है कि हम किससे तुलना करते हैं, ये अहम पहलू है।
हीन भावना
सिडनी की मैक्वेरी यूनिवर्सिटी की जैस्मिन फार्दुले ने इस बारे में रिसर्च की है। इसके लावा जैस्मिन कहती हैं कि, ''लोग अपनी तुलना इंस्टाग्राम पर अपलोड की गई तस्वीरों से करने लगते हैं। अक्सर ऐसे लोग खुद को कमतर आंकते हैं।'' जैस्मिन ने यूनिवर्सिटी की 227 छात्राओं पर इस बारे में सवाल पूछे। उन्होंने बताया कि वो अपने आस-पास के लोगों से तुलना में खुद को कम खूबसूरत पाती हैं। सेलेब्रिटीज के मुकाबले भी वो खुद को कमतर समझती हैं। जिन लोगों को ये छात्राएं बहुत कम जानती थीं, उन्हें लेकर हीन भावना ज्यादा थी। जैस्मिन कहती हैं कि हम जिन लोगों के बारे में ज़्यादा जानते हैं, उनकी असली खूबसूरती से वाकिफ होते हैं। वहीं, जिनसे हम दूर होते हैं, उनकी खूबसूरती को लेकर अपने मन में वहम पाल लेते हैं। जबकि सोशल मीडिया पर अक्सर लोग खुद को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं।
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