जीवन से जुड़े सभी कष्टों को दूर करने और कामनाओं को पूरा करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। इसको अत्यधिक शुभ और फलदायी माना गया है।कहा जाता है महादेव के इस व्रत का महत्व तब और अधिक बढ़ जाता है, जब यह सोमवार के दिन पड़ता है। जी हाँ क्योंकि शिव की पूजा के लिए सोमवार का दिन सर्वोत्तम माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने पर साधक पर भगवान शिव की असीम कृपा बरसती है और उसके जीवने से जुड़े सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। अब हम आपको बताते हैं देवों के देव भगवान शिव की कृपा बरसाने वाले सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि।
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कैसे करें सोम प्रदोष व्रत की पूजा?- भगवान शिव की कृपा बरसाने वाले व्रत की पूजा को प्रदोष काल में किए जाने का विशेष महत्व है। आज प्रदोष काल लगने से पहले स्नान-ध्यान करने के बाद भगवान शिव को गंगाजल से स्नान कराने के बाद सफेद चंदन का तिलक और भस्म अर्पित करें। वहीं इसके बाद पुष्प, फल आदि चढ़ाकर शुद्ध घी दीया जलाकर प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करना चाहिए। इसके बाद रुद्राक्ष की माला से भगवान शिव के मंत्र का जाप करें और अंत में महादेव की आरती के बाद सभी को प्रसाद बांटें और सबसे अंत में स्वयं प्रसाद ग्रहण करें।
सोम प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व- भगवान शिव की पूजा के लिए रखे जाने वाले प्रदोष का महत्व दिन के अनुसार बढ़ जाता है। ऐसा माना जाता है कि अगर सोमवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ता है तो व्यक्ति के जीवन से जुड़ी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके अलावा ऐसी भी मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति सोम प्रदोष व्रत को विधि-विधान से करता है तो उसके जीवन से जुड़े सभी दोष, रोग, शत्रु दूर हो जाते हैं और उसे सुख-संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
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