ऐसे घरों में होता है भूत -प्रेतों का निवास, जाने कुछ ख़ास

ऐसे घरों में होता है भूत -प्रेतों का निवास, जाने कुछ ख़ास
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मानव को उसके कर्मों, तृष्णा, अशांत मन, अकाल मृत्यु, इन सभी कारणों से प्रेत योनि को भी भोगना पड़ जाता है.  भारतीय ज्योतिष और वास्तु के अनुसार यह कहा जाता है कि हर स्थान पर नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा का संतुलन होता है। वास्तुशास्त्र में किसी भी वस्तु विषय पर पड़ने वाली ऊर्जा तथा उसमें रहने वाले प्रणीयों पर उसके अच्छे या बुरे ऊर्जा के प्रभाव का आकलन अवश्य रूप से होता है .

शास्त्रों में हर दिशा का अपना एक विशेष ही महत्व है। उसी के अनुरूप उस जगह पर नकारात्मक अथवा सकारात्मक शक्तियों का वास होता है। वास्तु में सूर्य को ब्रह्म में ऊर्जा का स्त्रोत माना जाता है। इसी कारण पूर्व दिशा ऊर्जा का केंद्र रहती है पश्चिम में सूर्य अस्त होता है, जहां उसकी उर्जा का हास होता है और इसी दिशा पर शनिदेव वास करते हैं।

शास्त्रों में दैवीय ऊर्जा का उद्गमन उत्तर पूर्व दिशा कही गई है। इसे ईशान कोण भी कहा जाता है। इसी दिशा से सारी दैवीय शक्तियां संचालित होती हैं। यही स्थान ईश्वर को भी समर्पित है. इस के विपरीत दक्षिणी पश्चिम दिशा अर्थात साउथ वैस्ट दिशा पर दैत्यों और पिशाचों का काल वास होता है।जब किसी घर में पूर्व से सूर्य की किरणों को प्रवेश करने में बाधा उत्पन्न हो, उत्तर पश्चिम दिशा से वायु का संचालन बंद हो जाए, उत्तर पूर्व दिशा से जल का स्थान दूषित हो जाए, देव स्थान या घर का मंदिर दूषित हो जाए तो उन जगहों पर नकारात्मक शक्तियों का वास हो जाता है .तथा भूत-प्रेत अपना बसेरा बना लेते हैं।

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