नीलम को शनिदेव का रत्न माना जाता है. कहते है अगर शनिदेव रुष्ट हो या शनि की साढ़ेसाती चल रही हो तो नीलम पहनने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है. नीलम रत्न बहुत ही मुश्किल से मिलता है और इसके साथ ही यह बहुत महंगा भी आता है. जो किसी साधारण व्यक्ति के लिए खरीदना संभव नहीं हो पाता है.
ज्योतिष शास्त्र में इसका भी उपाय बताया गया है. यदि आप आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है तो शनि देव को प्रसन्न करने के लिए नीलम की जगह बिच्छू बूटी की जड़ को धारण कर सकते है. यह रत्न नीलम की तरह ही फायदे देने का काम करता है. इसको धारण करके आप शनिदोष से बच सकते हैं.
साधारणतया बिच्छू बूटी हिमाचल प्रदेश में पायी जाती है. इसकी पत्तिया कोमल तथा कांटेदार होती है. जो छूने से बिच्छू के काटने जैसी पीड़ा देती है. इसीलिए इसे बिच्छू बूटी कहा जाता है. इसे पहनने के लिए किसी भी शनिवार को सुबह पुष्य नक्षत्र में बिच्छू बूटी उखाड़कर ले आएं. फिर स्न्नान करके इसकी जड़ के टुकड़े को चांदी के ताबीज में डालकर शनिमन्त्र के साथ शुद्ध करने के बाद धारण करें. यह बूटी शनिदोष को खत्म करती है.
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