लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में मंदिर-मस्जिद के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने सनातन धर्म का सम्मान और भारत की धार्मिक सहिष्णुता की ऐतिहासिक परंपरा को लेकर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, "अगर हमें विश्व मानव सभ्यता को बचाना है, तो हमें सनातन धर्म का सम्मान करना होगा। हमारे ऋषि-मनीषियों ने हजारों साल पहले वसुधैव कुटुम्बकम का सिद्धांत प्रस्तुत किया था, जिसका अर्थ है कि पूरी दुनिया एक परिवार है। सनातन धर्म ही वह धर्म है जिसने विभिन्न मतों और मजहबों को विपत्ति के समय शरण दी है और दुनिया में धर्म, शांति और सहिष्णुता की भावना को बढ़ावा दिया है।"
मुख्यमंत्री योगी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "क्या कभी ऐसा हिंदुओं के साथ हुआ है? क्या हमने कभी किसी अन्य धर्म के लोगों को अपने धर्म से बाहर किया या उनके साथ हिंसा की? भारत के इतिहास में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों में हिंदुओं के साथ कितनी बार भेदभाव और हिंसा हुई है। भारत में कभी काशी विश्वनाथ धाम, कभी अयोध्या, कभी संभल, कभी भोजपुर जैसे स्थानों पर हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया, और उनके धार्मिक स्थलों को नष्ट किया गया।"
मुख्यमंत्री ने औरंगजेब पर भी निशाना साधते हुए कहा, "औरंगजेब का परिवार आज कोलकाता के पास एक रिक्शा चला रहा है। यदि औरंगजेब ने कभी ईश्वर की दुर्गति न की होती और भारतीय संस्कृति और धर्म का सम्मान किया होता, तो शायद उसकी औलादों को यह दिन न देखना पड़ता।" इस बयान के जरिए उन्होंने औरंगजेब के अत्याचारों की याद दिलाई, जो उसने भारतीय संस्कृति और धर्म पर किए थे।
"हिंदुओं के लिए कभी दो शब्द नहीं कहे"
मुख्यमंत्री योगी ने मंदिर-मस्जिद के मुद्दे पर अपनी मुखरता को पहले भी कई बार जाहिर किया है। हाल ही में, उन्होंने संभल हिंसा पर भी बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था, "संभल में 1947 से लेकर अब तक 209 हिंदुओं की निर्मम हत्या की गई। जो लोग आज संभल में मारे गए लोगों के लिए घड़ियालू आंसू बहा रहे हैं, उन्होंने इन हिंदुओं के लिए कभी दो शब्द नहीं कहे।" उन्होंने यह भी कहा कि हिंसा में सम्मिलित किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। इस के चलते उन्होंने संभल में हुए दंगों का इतिहास भी याद दिलाया और बताया कि यह हिंसा एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी।
बहराइच हिंसा पर भी किए बयान
मुख्यमंत्री योगी ने बहराइच में शोभा यात्रा के चलते हुई हिंसा पर भी गहरा दुख व्यक्त किया था। उन्होंने कहा, "जिस निर्दोष रामगोपाल मिश्रा की निर्मम हत्या की गई, वह घर के अंदर ले जाकर मारा गया। उसे इतनी बेरहमी से मारने वाले लोगों को कानून का डंडा नहीं बख्शेगा।" उन्होंने यह सवाल भी उठाया, "अगर हिंदू मोहल्ले से मुस्लिम जुलूस निकल सकता है, तो मुस्लिम मोहल्ले से हिंदू शोभा यात्रा क्यों नहीं निकल सकती? यदि मुस्लिम पर्वों के जुलूस हिंदू इलाकों से निकल सकते हैं, तो हिंदू पर्वों के जुलूस मुस्लिम इलाकों से क्यों नहीं निकल सकते?" यह बयान धार्मिक समानता और सहिष्णुता की ओर उनका स्पष्ट इशारा था, जिसमें उन्होंने यह कहा कि धार्मिक आयोजनों के लिए किसी भी समुदाय को भेदभाव का सामना नहीं करना चाहिए।