कहते हैं अगर हर सोमवार को व्रत रखकर भोले बाबा की यह आरती गाये जाए तो वह खुश होकर वरदान दे देते हैं. जी हाँ, अगर आप भी भोलेनाथ के भक्त हैं और उनका व्रत रखते हैं तो आपको भी उनकी शाम की पूजा में यह आरती जरूर जानी चाहिए क्योंकि इसे गाने से बहुत लाभ होता है. आइए जानते हैं आरती.
भोले बाबा की आरती -
दीनदयालु कृपालु कालरिपु, अलखनिरंजन शिव योगी.
मंगल रूप अनूप छबीले, अखिल भुवन के तुम भोगी.
वाम अंग अति रंगरस-भीने, उमा वदन की छवि न्यारी. भोलेनाथ
असुर निकंदन, सब दु:खभंजन, वेद बखाने जग जाने.
रुण्डमाल, गल व्याल, भाल-शशि, नीलकण्ठ शोभा साने.
गंगाधर, त्रिसूलधर, विषधर, बाघम्बर, गिरिचारी. भोलेनाथ ..
यह भवसागर अति अगाध है पार उतर कैसे बूझे.
ग्राह मगर बहु कच्छप छाये, मार्ग कहो कैसे सूझे.
नाम तुम्हारा नौका निर्मल, तुम केवट शिव अधिकारी. भोलेनाथ ..
मैं जानूँ तुम सद्गुणसागर, अवगुण मेरे सब हरियो.
किंकर की विनती सुन स्वामी, सब अपराध क्षमा करियो.
तुम तो सकल विश्व के स्वामी, मैं हूं प्राणी संसारी. भोलेनाथ ..
काम, क्रोध, लोभ अति दारुण इनसे मेरो वश नाहीं.
द्रोह, मोह, मद संग न छोडै आन देत नहिं तुम तांई.
क्षुधा-तृषा नित लगी रहत है, बढी विषय तृष्णा भारी. भोलेनाथ ..
तुम ही शिवजी कर्ता-हर्ता, तुम ही जग के रखवारे.
तुम ही गगन मगन पुनि पृथ्वी पर्वतपुत्री प्यारे.
तुम ही पवन हुताशन शिवजी, तुम ही रवि-शशि तमहारी. भोलेनाथ
पशुपति अजर, अमर, अमरेश्वर योगेश्वर शिव गोस्वामी.
वृषभारूढ, गूढ गुरु गिरिपति, गिरिजावल्लभ निष्कामी.
सुषमासागर रूप उजागर, गावत हैं सब नरनारी. भोलेनाथ ..
महादेव देवों के अधिपति, फणिपति-भूषण अति साजै.
दीप्त ललाट लाल दोउ लोचन, आनत ही दु:ख भाजै.
परम प्रसिद्ध, पुनीत, पुरातन, महिमा त्रिभुवन-विस्तारी. भोलेनाथ ..
ब्रह्मा, विष्णु, महेश, शेष मुनि नारद आदि करत सेवा.
सबकी इच्छा पूरन करते, नाथ सनातन हर देवा.
भक्ति, मुक्ति के दाता शंकर, नित्य-निरंतर सुखकारी. भोलेनाथ ..
महिमा इष्ट महेश्वर को जो सीखे, सुने, नित्य गावै.
अष्टसिद्धि-नवनिधि-सुख-सम्पत्ति स्वामीभक्ति मुक्ति पावै.
श्रीअहिभूषण प्रसन्न होकर कृपा कीजिये त्रिपुरारी. भोलेनाथ ..
अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए भोले भंडारी के सामने गाये यह पवित्र स्तुति
महाशिवरात्रि : शिव जी की यह आरती गाकर पूरे दिन रखे उन्हें खुश