छठ पर्व की शुरुआत के साथ ही 'बिहार कोकिला' शारदा सिन्हा के निधन ने उनके प्रशंसकों को गहरा आघात दिया है। उनका पार्थिव शरीर बुधवार को पटना लाया जाएगा, तथा 7 नवंबर को राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार होगा। शारदा जी के बेटे, अंशुमन, ने मीडिया से बातचीत में अपनी मां के निधन पर दुख जताते हुए उन्हें देश की धरोहर बताया तथा उनकी अंतिम इच्छा भी प्रशंसकों के साथ साझा की।
अंशुमन ने बताया, "मां की इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार भी वहीं किया जाए, जहां मेरे पिता का हुआ था, यानी पटना के गुलबी घाट पर। हम इस पर विचार कर रहे हैं। मां के निधन की खबर से सभी दुखी हैं, सबको उम्मीद थी कि छठी मैया उन्हें बचा लेंगी। मगर जो होना था, वह हो गया। मां बहुत कष्ट में थीं, तथा सबकी प्रार्थनाओं के सहारे अब वह शांति की यात्रा पर निकल पड़ी हैं। हम सभी प्रार्थना करते हैं कि उनकी आत्मा को शांति मिले। छठ पर्व उनके दिल के करीब था। उन्होंने अपने घर-आंगन से छठ के गीतों को अपनाया था।"
शारदा सिन्हा ने 1978 में पहला छठ गीत का एलबम रिलीज किया था तथा तब से उनकी यह यात्रा निरंतर चलती रही। हॉस्पिटल में रहते हुए भी उन्होंने "दुखवा मिटाईं छठी मइया" नामक गीत ICU से रिकॉर्ड कर प्रशंसकों को अपना अंतिम उपहार दिया। (यह बताते हुए अंशुमन भावुक हो गए।) शारदा सिन्हा के प्रशंसक एवं सेलेब्रिटी सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। शारदा सिन्हा भले ही चली गईं, मगर अपने गानों की अमूल्य विरासत छोड़ गईं।
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