नई दिल्ली: क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक और लद्दाख के कई अन्य लोगों ने बुधवार को महात्मा गांधी की समाधि, राजघाट पर श्रद्धांजलि अर्पित की। वांगचुक ने बताया कि उन्हें पुलिस हिरासत से रिहा कर दिया गया है, और इसी के साथ उन्होंने अपना अनशन भी समाप्त कर दिया।
वांगचुक के अनुसार, उनके समूह ने सरकार को एक ज्ञापन सौंपा है जिसमें लद्दाख की पारिस्थितिकी और स्थानीय लोगों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए उचित प्रावधानों की मांग की गई है। उन्हें सरकार की ओर से जल्द ही शीर्ष नेताओं के साथ बैठक करने का आश्वासन मिला है। सोनम वांगचुक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी साझा की कि हिरासत के दौरान उनके पास फोन की सुविधा नहीं थी, इसलिए उन्होंने कोई पोस्ट नहीं की। उन्होंने सभी समर्थकों को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि गृह मंत्रालय से आश्वासन मिलने के बाद उन्होंने अपना उपवास तोड़ा है।
वांगचुक ने कहा कि लद्दाख की पारिस्थितिकी को संरक्षित करने के लिए छठी अनुसूची के तहत प्रावधान लागू किए जाने चाहिए, जिससे स्थानीय लोगों को संसाधनों पर शासन और प्रबंधन का अधिकार मिल सके। उन्होंने जोर दिया कि हिमालय में स्थानीय लोगों को सशक्त किया जाना जरूरी है क्योंकि वे ही इस क्षेत्र का सबसे बेहतर संरक्षण कर सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि गृह मंत्रालय ने उन्हें प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और गृह मंत्री से मुलाकात का आश्वासन दिया है, जो आने वाले दिनों में होगी।
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