नई दिल्ली: कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुरुवार को लोकसभा में मनरेगा (MGNREGA) का मुद्दा उठाया, जिस पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और अनुराग ठाकुर ने करारा पलटवार किया. रायबरेली से लोकसभा सांसद सोनिया गांधी ने कहा कि मनरेगा जिसका कई लोगों ने मजाक उड़ाया था, उसी ने कोरोना के संकट काल, लॉकडाउन में करोड़ों लोगों को सही समय पर मदद की. इसने सरकार के बचाव में सार्थक भूमिका निभाई. लेकिन इसके बावजूद मनरेगा के बजट में लगातार कटौती की जा रही है, जिससे काम मिलने और वक़्त पर मजदूरी के भुगतान की कानूनी गारंटी कमजोर पड़ रही है.
कांग्रेस प्रमुख ने आगे कहा कि इस साल मनरेगा का बजट 2020 की तुलना में 35 फीसदी कम है, जबकि बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है. सोनिया गांधी ने कहा कि 26 मार्च को दूसरे तमाम राज्यों ने योजना के तहत नकारात्मक संतुलन दिखाया, जिसमें कामगारों का करीब पांच हजार करोड़ बकाया है. सोनिया गांधी ने आगे कहा कि ग्राम सभा के सोशल ऑडिट पर समझौता नहीं किया जाए जाना चाहिए. सोनिया गांधी ने सरकार के सामने 4 मांगें रखते हुए कहा कि, मनरेगा के लिए उचित बजट दिया जाए, काम के 15 दिनों के अंदर मजदूरी का भुगतान किया जाए, मजदूरी भुगतान में देरी पर मुआवजे का प्रावधान किया जाए, राज्यों की वार्षिक कार्ययोजनाओं को बगैर किसी देरी के निर्धारित किया जाए.
सोनिया ने जैसे ही अपनी बात खत्म की, वैसे ही केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह खड़े हो गए. उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी ने जो बातें कहीं वे तथ्यों से परे हैं. गिरिराज ने आंकड़े पेश करते हुए बताया कि 2013-14 (कांग्रेस कार्यकाल) में महज 33 हजार करोड़ बजट था, जिसे बढाकर एक लाख करोड़, एक लाख 12 हजार करोड़ तक ले जाय गया. गिरिराज सिंह के फ़ौरन बाद अनुराग ठाकुर खड़े हो गए. उन्होंने कहा कि 2013-14 तक जो बजट निर्धारित किया जाता था, वह भी इस्तेमाल नहीं किया जाता था. मगर मोदी सरकार ने एक लाख करोड़ से अधिक रकम एक ही साल में दे दी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में केवल भ्रष्टाचार के मामले आते थे.
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