कोरोना वायरस के दौरान अगर किसी ने गरीबों की सबसे अधिक मदद की है और अब तक कर रहा है तो वह है सोनू सूद। सोनू सूद ने सभी की जमकर मदद की और आज भी वह गुहार लगाने वालों की सुन रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर मदद मांगने वाले हर शख्स को ना सिर्फ रिप्लाई किया बल्कि उसकी मदद भी की। ऐसे में अब सोनू सूद के ऊपर लिखी एक किताब सामने आई है जिसका नाम है 'I Am No Messiah' (मैं मसीहा नहीं हूं)।।। वैसे यह किताब खुद सोनू सूद ने लिखी है।
सोनू ने इस किताब में अपनी लॉकडाउन जर्नी के बारे में लिखा है। जी दरअसल सोनू सूद ने लॉकडाउन के दौरान अनेक जरूरतमंदों की मदद की है और उसी पर उन्होंने इस किताब को लिखा है। मदद करने के कारण वह लाखों लोगों के मसीहा बने हैं लेकिन वह ऐसा नहीं मानते हैं। हाल ही में एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, 'मैं नहीं मानता हूं कि मैं मसीहा हूं। मैं ये मानता हूं कि मैं उनकी जर्नी का एक हिस्सा हूं। हर एक प्रवासी का जो जिंदा है और बड़े शहरों में आकर अपने परिवार के लिए रोटी कमाना चाहता है। इसलिए मैं पूरी तरह ये विश्वास करता हूं कि मैंने पिछले 6 महीनों में उनके साथ जो कनेक्शन बनाया है, उसने मुझे उनमें से एक बना दिया है। मैं ये नहीं मानता हूं कि मैं किसी भी तरह का मसीहा हूं'।
इसके अलावा उन्होंने आगे बताया कि 'मुझे याद है कि पहले दिन जब मैंने लोगों को खाना देने से इस यात्रा की शुरुआत की थी, तब मैंने सोचा था कि मैंने एक इंसान के तौर पर अपना काम किया है और अब इस कोरोना वायरस के खत्म होने का इंतजार है। लेकिन वो समय था जब वो पूरी यात्रा शुरु हुई थी, जब मैंने करोड़ों प्रवासियों को पैदल चलकर अपने गांव जाते हुए देखा था। मुझे लगा कि ये खत्म नहीं होगा अगर मैं सड़कों पर नहीं जाऊंगा। तब उनकी यात्रा शुरु हुई उन्हें वापस भेजने की'। वैसे हम आपको यह भी बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने खुद को मसीहा मानने से इंकार किया हो। यह वह काफी समय से कह रहे हैं।
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