पेट्रोल डीजल के बाद अब जल्द भारतीय सड़को पर बिजली से चलने वाले वाहन दौड़ते नजर आएंगे। इसके तहत केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है। इसके साथ-साथ बिजली से चलने वाली वाहनों के माध्यम से भारत अपने एक नहीं दो-दो उद्देश्यों को पूरा कर सकेगा- पहला जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के अंतर्गत भारत अपने हिस्से के उत्सर्जन को बिजली चलित वाहनों के माध्यम से पूरा करेगा। और दूसरा वायु प्रदूषण से देश की बदतर होती आबोहवा को बिजली वाहनों के चलने से सुरक्षा कवच मिलेगा।
आगामी 2020 रोडमैप का अनुमान है कि मिशन को पूरा करने में लगभग 14000 करोड़ रुपए खर्च का अनुमान है। राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना 19 अप्रैल 2015 से शुरू हुई थी। इस पर विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र में शोध कर रहे सुपर्णों बनर्जी का कहना है कि सरकार द्वारा उठाई गई सबसे महत्वाकांक्षी पहलों में से यह एक है, जिसमें देश में मोटर वाहन और परिवहन उद्योग में एक परिवर्तनकारी बदलाव लाया जा सकता है।
इसके अलावा जानकारो का कहना है कि अब भारत बिजली से चलने वाली वाहनों की ओर चल पड़ा है। बिजली चलित वाहनों की बैटरी 17 से 18 हजार डॉलर की आती है, और जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहन का इंजन तंत्र पांच हजार डॉलर में। बैटरी कीमतों में सालाना 20 फीसदी की दर से गिरावट आने की उम्मीद है।
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