आजतक हमने मिट्टी और सीमेंट से बने घरों के बारे में सुना है और देखा है. लेकिन आज एक ऐसी बात बताने जा रहे हैं जो कभी नहीं सुना होगा. तो हम आपको बता दें जल्द ही ऐसा असलियत में होने वाला है. दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों ने पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए एक अनूठा प्रयोग किया है. इन छात्रों ने ईट बनाने के लिए इंसान की पेशाब का इस्तेमाल किया है. अब ये कैसे होने वाला है इसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं.
दरअसल, केपटाउन विश्वविद्यालय के निरीक्षक डायलन रैंडल ने इस बारे में बातचीत करते हुए बताया कि इस ईट को बनाने की प्रक्रिया भी ठीक वैसी ही होगी जैसे कि समुद्र में कोरल (मूंगा) बनता है. सामान्य ईट को आकार देने के बाद उसे उच्च तापमान में भट्ठियों पर पकाया जाता है और इसके कारण कार्बन-डाईऑक्साइड बनती है और ये प्रदुषण को काफी ज्यादा नुकसान भी पहुंचाती है. इसी तरीके को बदलने के लिए इन लोगन ने एक अलग ही तरीका निकाला है. छात्रों ने ईट को 'बायो ब्रिक' नाम दिया है. इसे बनाने के लिए उन्होंने शौचालय से पेशाब इक्कठा किया और फिर उससे खाद बनाया.
आपकी जानकारी के लिए बता दें, इस एक ईट को बनाने में 25 से 30 लीटर पेशाब लगता है. रिपोर्ट्स के अनुसार एक व्यक्ति दिनभर में 200 से 300 मिलीलीटर पेशाब करता है. इसका मतलब अगर बियो ब्रिक बनानी हुई तो इसके लिए 100 बार पेशाब करना होगा. इस तरह की ईटे बनाने का काम कुछ साल पहले अमेरिका में भी शुरू हुआ था. उस दौरान सिंथेटिक यूरिया का इस्तेमाल किया गया था.
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