उत्तर और दक्षिण कोरिया की सीमा के नजदीक स्थित एक नदी सूअरों के खून के कारण पूरी तरह से लाल हो गई है। देश में अफ्रीकन स्वाइन फीवर फैलने का खतरा पैदा होने के कारण दक्षिण कोरियाई प्रशासन ने इसे फैलने से रोकने के लिए 47000 सूअरों को मारने का आदेश जारी किया था। परन्तु बारिश के कारण सीमा के पास स्थित डंपिंग ग्राउंड से खून बहकर नजदीक की छोटी नदी इमजिन में मिल जाता है।
अफ्रीकन स्वाइन फीवर बहुत संक्रामक और लाइलाज बीमारी है जो सूअरों को होती है। इसमें संक्रमित सूअर के बचने की कोई संभावना नहीं होती, फिहाल इंसानों को इससे खतरा नहीं होता। स्थानीय अधिकारियों ने इस बात से इनकार किया है कि बहते हुए खून से अन्य जानवरों के लिए भी इस बीमारी का खतरा पैदा हो सकता है।
पूरे एशिया में फैला
पिछले सप्ताहांत सूअरों को मारने की कार्रवाई की गई थी। परन्तु कहा जा रहा है कि अवशेषों को दोनों कोरिया की सीमा के पास स्थित डंपिंग ग्राउंड के पास कई ट्रकों के अंदर ही छोड़ दिया गया था। दरअसल में इन्हें दफनाने के लिए जरूरी प्लास्टिक कंटेनर बनाने में देरी के चलते ऐसा हुआ और मृत सूअरों को तुरंत दफन नहीं किया जा सकता है।
फिलहाल में दक्षिण कोरिया में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के संक्रमण का पता चला था और ऐसी बात ही थी कि उत्तर और दक्षिण कोरिया की सीमा के पास असैन्यकृत क्षेत्र की बाड़ों को पार कर आए सूअरों से देश में ये बीमारी फैली थी। स्वाइन फीवर का पहला मामला उत्तर कोरिया में बीते मई में पता चला था। ये संक्रमण दक्षिण कोरिया तक न पहुंचे इसके लिए सरकार ने लिए काफी उपाय किए, यहां तक कि सीमा पर बाड़ भी लगाई जा चुकी है।
दक्षिण कोरिया की सेना का कहना है कि वो सीमा पर असैन्य क्षेत्र को पार करने वाले किसी भी जंगली जानवर को मार सकती है। परन्तु इन उपायों के बावजूद दक्षिण कोरिया में अफ्रीकन स्वाइन फीवर पहला मामला 17 सितंबर को सामने आया। अब तक यहां कुल 13 मामले सामने आ चुके हैं। दक्षिण कोरिया में कुल 6,700 पिग फॉर्म हैं। इस बीमारी के फैलने से चीन, वियतनाम और फिलीपीन्स सहित एशिया के कई देश पर प्रभाव पड़ा हुआ हैं। अकेले चीन में ही 12 लाख सूअरों को इस कारण मारा जा चूका है।
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