नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मानसिक रोगियों से संबंधित मामले में कोर्ट ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से जबाव मांगा है। कोर्ट का कहना है कि जिन राज्यों में मानसिक रोगियों की संख्या ज्यादा है और रोगियों में जो ठीक हो गए हैं या फिर वे जिन्हें परिवार वालों द्वारा स्वीकार नहीं किया जा रहा है, उन सभी की जानकारी कोर्ट को प्रदान की जाए और इसके लिए कोर्ट ने सभी के लिए मात्र दो हफ्तों का ही समय दिया है।
रिटायरमेंट के पूर्व आठ बड़े मुद्दों पर अपना फैसला सुनाएंगे सीजेआई दीपक मिश्रा
वहीं सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने नया नोटिस जारी किया है और उसमें कहा है सभी राज्य जल्द से जल्द जानकारी कोर्ट में जमा करें। जिससे कोर्ट अब मेरिट सूची के आधार पर इसकी सुनवाई करेगी। दरअसल देश के कई राज्यों में मानसिक रूप से परेशान लोगों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है और बहुत से लोगों ने मानसिक रोगियों को अस्पताल में या आश्रमों में छोड़ दिया है।
बोफोर्स को तो खूब उछाला था, राफेल मामले पर चुप क्यों है मीडिया - शशि थरूर
इसके अलावा कोर्ट में याचिका लगाते हुए अधिवक्ता एवं याचिकाकर्ता गौरव बंसल ने कहा है कि देश में करीब 15 हजार से ज्यादा लोगों को मानसिक रोगियों के साथ रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है। लेकिन इसके विपरीत लोग इनसे बहुत परेशान भी हैं और अब इसके लिए आगामी सुनवाई तीन हफ्तों के बाद ही होगी।
खबरें और भी
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश बने रंजन गोगोई
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश बने रंजन गोगोई
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दीपक मिश्रा हुए रिटायर, चार्ज में आए गोगोई