लखनऊ: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हाल ही में हुई हिंसा के बाद सोमवार को समाजवादी पार्टी (सपा) का 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल पीड़ित परिवारों से मुलाकात करने पहुंचा। इस प्रतिनिधिमंडल ने हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये का चेक प्रदान किया। इस दौरान पुलिस प्रशासन भी मौजूद रहा।
सपा विधायक और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे ने इस घटना को लेकर योगी सरकार पर हमला बोला। पांडे ने आरोप लगाया कि सरकार मुसलमानों के प्रति संवेदनहीन है और हिंदू-मुस्लिम के बीच तनाव पैदा करके सियासत कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था बदहाल है और चुनावों में धांधली के सबूत उनके पास हैं। माता प्रसाद पांडे ने जामा मस्जिद के पास बनाई जा रही पुलिस चौकी पर भी सवाल खड़े किए और इसे हिंसा का एक कारण बताया। हालाँकि, पुलिस चौकी बनने से हिंसा कैसे होगी? इसका जवाब तो सपा नेता ही दे सकते हैं।
संभल की वो कहानी... जब 200 हिन्दुओं को मार दिया गया था!
— Panchjanya (@epanchjanya) December 7, 2024
संभल में कब-कब हुआ विवाद, क्यों हिंदुओं को बनाया जा रहा निशाना?
संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुए विवाद ने 48 साल पुराने उस घटना को याद दिला दिया, जिससे पूरे देश में तहलका मच गया था।
ऐसी घटनाएं संभल में 1976 से… pic.twitter.com/QUd0zPrnbH
वहीं, सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन ने गलत तरीके से हालात को संभाला। बर्क ने कहा, "अगर मेरी मंशा दंगा भड़काने की होती, तो यह हिंसा पहले दिन ही क्यों नहीं हुई जब सर्वे हुआ था?" सपा नेता लाल बिहारी यादव ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन ने मनमाने तरीके से कार्रवाई की और निर्दोष लोगों को भी परेशान किया। उन्होंने सवाल किया कि हिंसा में मारे गए पांच लोगों की हत्या का मुकदमा अभी तक क्यों नहीं दर्ज हुआ। यादव ने कहा कि मुसलमानों ने ईंट-पत्थर अपने बचाव में चलाए थे।
उल्लेखनीय है कि, यह हिंसा 24 नवंबर को शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर के सर्वे को लेकर भड़की थी, जब पुलिस टीम कोर्ट के आदेश पर जामा मस्जिद का सर्वे करने पहुंची। उस समय 800-900 लोगों की मुस्लिम भीड़ ने हमला कर दिया, जिसमें 24 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए। हिंसक झड़प में भीड़ में शामिल 5 लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। ये पाँचों युवक मुस्लिम समुदाय के थे। हालाँकि, यूपी में हुई अन्य हिंसा के मामलों में गैर-मुस्लिम युवक भी मारे गए हैं, लेकिन ये पहली बार है जब सपा अपने पार्टी फंड से मुआवज़ा दे रही है, आखिर यूपी में मुस्लिम समुदाय सपा का मुख्य वोट बैंक है।
संभल के पत्थरबाज़ों को 5 लाख के चेक बाँटते 'सपा नेता' ????
— Apurva Singh (@iSinghApurva) December 30, 2024
कभी किसी सपा नेता ने... गोपाल मिश्रा, चंदन गुप्ता इनको चेक नहीं दिए
हिंदुओ अब भी वक़्त है, समझ जाओ सपा का असली चेहरा.. pic.twitter.com/u2jukfsr43
पुलिस के अनुसार, सर्वे के दौरान मस्जिद के पास अचानक इस्लामी भीड़ जमा हो गई और ‘अल्लाह-हू-अकबर’ के नारे लगाते हुए पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया, उनके हथियार लूट लिए, और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। हालात इतने बिगड़ गए कि रैपिड एक्शन फोर्स और अतिरिक्त पुलिस बल को बुलाना पड़ा। FIR में बताया गया है कि, इस्लामी भीड़ का इरादा खून-खराबे का था, वो पुलिस की हत्या कर देना चाहते थे। इस हमले में कई पुलिसकर्मी घायल हुए, जिनमें कोतवाली संभल, कैलादेवी, रजपुरा, और कुढ़फतेहगढ़ के SHO शामिल हैं। SDM रमेश बाबू, DSP अनुज चौधरी, और SP संभल के PRO को भी गंभीर चोटें आईं। पुलिस ने स्थिति संभालने के लिए वाटर कैनन, आँसू गैस, और रबर बुलेट का इस्तेमाल किया, लेकिन भीड़ हिंसा करती रही।
घटना के बाद पुलिस ने 21 आरोपितों को गिरफ्तार किया, जिनकी उम्र 14 से 72 वर्ष के बीच है। गिरफ्तार लोगों में मोहम्मद शादाब, मोहम्मद रिहान, गुलफाम, अमान, मोहम्मद सलीम, मोहम्मद समीर, याकूब, सलमान, रिहान अली, मोहम्मद बाबू, मोहम्मद हैदर, यामीन, और अन्य लोग शामिल हैं। इन लोगों के पास से पुलिस से लूटे गए हथियार, तमंचे, कारतूस, और रबर बुलेट बरामद हुए हैं। सपा के एक प्रतिनिधिमंडल कुछ दिन पहले जेल में बंद इन आरोपियों से मिलने भी पहुंचा था, जिन्होंने पुलिस पर हमला किया।