लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण के बीच समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि उन्होंने अपने नेताओं व कार्यकर्ताओं से संपर्क व संवाद के लिए पहले वाट्सएप और आज वीडियो कॉलिंग का माध्यम चुना है, जो कि सस्ता और सुविधाजनक है. इसके विपरीत धनबल और सत्ता के दंभ में डूबी भाजपा ने बिहार में आयोजित 'वर्चुअल रैली' पर 150 करोड़ रुपये खर्च किए. इस रैली में 72 हजार एलईडी स्क्रीन लगाई गईं.
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अपने बयान में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को कहा कि अब पश्चिम बंगाल में भी महा रिकार्ड बनाने वाली एक खर्चुअल रैली या वर्चुअल रैली पर अरबों का खर्च है. यह लोकतंत्र में स्वस्थ परंपरा को आहत करता है तथा विपक्षी दलों का मनोबल गिराने की साजिश है. दावा ये है कि ये चुनावी रैलियां नहीं है तो फिर बूथ स्तर तक इन्हेंं पहुंचाने के प्रयास क्यों? दरअसल, भाजपा झूठ का विश्व रिकार्ड बना रही है. कार्यकर्ताओं से कहा कि वे वर्ष 2022 के चुनाव की तैयारियों में कहीं ढील न आने दें. बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करें. भाजपा सरकार ने नोटबंदी, जीएसटी के बाद लॉकडाउन से जनता को जितना परेशान किया है, उसकी लोगों से चर्चा करते रहें.
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इसके अलावा सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने वीडियो कॉलिंग के जरिए प्रदेश में अपने वरिष्ठ कार्यकर्ताओं व नेताओं से संवाद कर उनसे क्षेत्रीय स्थिति की जानकारी ली. संवाद की शुरुआत अयोध्या के पूर्व विधायक एवं पूर्वमंत्री पवन पाण्डेय से की. इस अवसर पर उपस्थित हनुमान गढ़ी के महंत कल्याणदास ने उन्हेंं आशीर्वाद दिया. महंत ने अखिलेश को वर्ष 2022 में मुख्यमंत्री बनने की भविष्यवाणी की. गोंडा में पूर्व मंत्री योगेश प्रताप सिंह से बात की.
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