शिमला: हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार में मंत्री अनिरुद्ध सिंह को अपनी ही पार्टी के विधायकों के विरोध का सामना करना पड़ा, जब उन्होंने ये मुद्दा उठाया कि शिमला में एक मस्जिद का निर्माण अवैध रूप से किया गया है। राज्य विधानसभा में बोलते हुए अनिरुद्ध सिंह ने शिमला की संजौली मस्जिद के निर्माण की जांच की मांग की। उन्होंने यह भी कहा कि मस्जिद के कथित अवैध निर्माण के कारण इलाके में तनाव पैदा हो गया है।
उन्होंने कहा, "उन्होंने बिना अनुमति के निर्माण कार्य शुरू कर दिया। यह एक अवैध संरचना थी। पहले एक मंजिल का निर्माण हुआ, फिर बाकी का निर्माण हुआ।" मंत्री ने आगे कहा, "उन्हें अवैध गतिविधियों में लिप्त रहने की आदत है। उन्होंने 5 मंजिला मस्जिद बनाई। इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए। वहां से बहन बेटियों का निकलना मुश्किल हो गया है, चोरी और लव जिहाद की घटनाएं बढ़ रहीं हैं। ये हमारे देश और राज्य के लिए खतरनाक है, इस पर ध्यान देने की जरूरत है।'' उन्होंने प्रशासन से पूछा कि जब अवैध निर्माण हो रहा है, तो प्रशासन ने अब तक मस्जिद का बिजली-पानी क्यों नहीं काटा है ?
लेकिन उनके इस बयान पर असदुद्दीन ओवैसी तो भड़के ही, उनकी अपनी पार्टी कांग्रेस के विधायक भी अनिरुद्ध सिंह के खिलाफ हो गए। दरअसल, कांग्रेस का ये शुरू से स्टैंड ही नहीं रहा है कि, वो हिन्दुओं के मुद्दे उठाए, खासकर जब वो मुद्दे मुसलमानों के खिलाफ हों। मुस्लिम समुदाय कांग्रेस का मुख्य वोट बैंक रहा है और उन्हें खुश करने के लिए पार्टी कई तरह के जतन करती रहती है, जब कांग्रेस ने वक़्फ़ एक्ट में वक्फ बोर्ड को किसी भी जमीन पर अपना कब्ज़ा करने की खुली छूट दे रखी है, तो एक अवैध मस्जिद इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। साथ ही कांग्रेस शुरू से लव जिहाद को नकारती रही है, चाहे कितनी ही बेटियां इस घिनौने जाल में फंसकर टुकड़े टुकड़े हो गईं, लेकिन, कांग्रेस का कहना है कि ऐसा कुछ होता ही नहीं, ये भाजपा का गढ़ा गया शब्द है। ऐसे में अनिरुद्ध सिंह के इस बयान पर पार्टी नेताओं का नाराज़ होना तो लाजमी ही था। इसमें बड़ी बात नहीं अगर कुछ दिनों में उन्हें मंत्री पद से हटा दिया जाए, कारण तो कुछ भी बताया जा सकता है ।
हुआ भी यही, कांग्रेस विधायकों और अन्य सरकारी मंत्रियों ने अनिरुद्ध की बातों का जमकर खंडन किया। इस बीच, हिंदू संगठनों के एक समूह ने मस्जिद के निर्माण का विरोध करते हुए इलाके में विरोध मार्च निकाला। ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने सवाल उठाया कि क्या मस्जिद खोलने से पहले प्रशासन से अनुमति ली गई थी। वहीं, कांग्रेस विधायक हरीश जनार्था ने विधानसभा में मंत्री अनिरुद्ध सिंह की टिप्पणियों का विरोध करते हुए कहा कि इलाके में कोई तनाव नहीं है। उन्होंने कहा कि मस्जिद मूल रूप से 1960 से पहले बनाई गई थी और वक्फ बोर्ड की जमीन पर 2010 में तीन अतिरिक्त मंजिलें "अवैध रूप से" जोड़ी गई थीं।
वहीं, कांग्रेस मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने राज्य के समावेशिता के इतिहास पर जोर देते हुए आग्रह किया कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण न किया जाए। उन्होंने कहा कि, "हमें इस मुद्दे पर सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए। हम सभी की भावनाओं का सम्मान करते हैं और न्याय के साथ काम करेंगे। सरकार कानून के अनुसार कार्रवाई करेगी। हमारा राज्य देवभूमि है... धर्म के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। कानून को अपना काम करने दें।"
राजीव से अधिक दिमागदार हैं राहुल गांधी, उनमे PM बनने के सभी गुण- सैम पित्रोदा
सिक्किम में दुखद हादसा, खाई में वाहन गिरने से 4 सैन्यकर्मियों की मौत
भांग बेचकर पैसे कमाएगी हिमाचल सरकार! आर्थिक संकट के बीच बिल पेश करने की तैयारी