अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद वडोदरा के एक निजी अस्पताल द्वारा कोविड से गंभीर रूप से संक्रमित एक 32 वर्षीय व्यक्ति के शुक्राणु एकत्र किए गए, जिसके कुछ घंटों बाद ही उसकी मौत हो गई. वो तीन माह पहले कोरोना होने के बाद निमोनिया से भी जूझ रहा था. अस्पताल प्रशासन ने कहा कि वडोदरा के स्टर्लिंग अस्पताल में कोरोना से संबंधित जटिलताओं के लिए 10 मई को अस्पताल में एडमिट होने के बाद एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन (ECMO) पर रहने वाले शख्स का गुरुवार तड़के निधन हो गया.
वहीं इससे पहले मंगलवार को गुजरात उच्च न्यायालय ने वडोदरा के एक अस्पताल को कोरोना वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित व्यक्ति के सैंपल ‘आईवीएफ/असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी’ (ART) प्रक्रिया के लिए एकत्र करने का आदेश दिया था, क्योंकि मरीज की जान बचने की संभावना बेहद कम थी और उसकी 29 साल की पत्नी उसके बच्चे की मां बनना चाहती थी. अदालत ने इसे एक असाधारण स्थिति मानते हुए मंगलवार को मामले में फैसला दिया था.
मरीज की पत्नी की याचिका पर तुरंत सुनवाई करने के बाद जस्टिस जे शास्त्री ने वडोदरा के एक अस्पताल को ‘आईवीएफ/असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी’ (ART) प्रक्रिया के लिए मरीज के सैंपल एकत्र करने और मेडिकल सलाह के मुताबिक, इसे उचित स्थान पर रखने का निर्देश दिया.
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