कोलंबो: चीन की चालबाजियों में फंसकर भारी नुकसान झेल चुके श्रीलंका को यह बात समझ में आ गई है चीन के साथ पोर्ट डील उसकी बड़ी चूक थी। इतना ही नहीं पड़ोसी मुल्क ने अब यह भी कहा है कि आगे से वह इंडिया फर्स्ट की नीति पर ही आगे बढ़ेगा। इस बीच, दक्षिण एशिया मामलों के जानकारों का कहना है कि आने वाले वक़्त में नेपाल, बांग्लादेश जैसे मुल्कों को भी इसी प्रकार पछतावा हो सकता है, जो अभी चीन के साथ चहक रहे हैं।
श्रीलंका के विदेश सचिव जयानाथ कोलोमबाजे ने कहा है कि श्रीलंका तटस्थ विदेश नीति पर आगे बढ़ना चाहता है, किन्तु रणनीतिक और सुरक्षा मामलों में 'इंडिया फर्स्ट' की नीति का पालन करेगा। एक श्रीलंकाई टीवी चैनल से बात करते हुए कोलोमबाजे ने कहा कि, ''राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे का कहना है कि रणनीतिक सुरक्षा के संबंध में हम इंडिया फर्स्ट नीति पर चलेंगे। हम भारत के लिए रणनीतिक जोखिम नहीं बन सकते हैं और हमें ऐसा नहीं करना है। हमें भारत से फायदा मिलेगा। राष्ट्रपति ने स्पष्ट कहा है कि जहां तक सुरक्षा की बात है आप हमारी पहली प्राथमिकता हैं, किन्तु मुझे आर्थिक समृद्धि के लिए दूसरों के साथ भी समझौते करना है।''
विदेश सचिव ने कहा कहा कि तटस्थ विदेश नीति के साथ श्रीलंका, हिंदुस्तान के रणनीतिक हित की रक्षा सुनिश्चित करेगा। इस दौरान उन्होंने एक और बड़ी बात कही और स्वीकार किया कि हम्बनटोटा बंदरगाह को 99 वर्षों के लिए चीन को लीज पर देना बड़ी चूक थी।
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