आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में 3 कार्यों का वर्णन किया है, जिनके नियमित अनुसरण से जीवन में कामयाबी प्राप्त की जा सकती है। आचार्य चाणक्य बताते कि पहले तो इंसान को ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए। यह समय उसे आत्मरक्षा, ध्यान और नई सोच के लिए उत्तम होता है। ब्रह्म मुहूर्त में बिस्तर छोड़ने के बाद, चाणक्य के अनुसार, मनुष्य को तुरंत स्नान कर लेना चाहिए। सुबह के इस समय में स्नान शारीरिक और मानसिक शुद्धता को बढ़ाता है।
तत्पश्चात, सूर्य उगते समय देवता को जल चढ़ाना चाहिए। यह प्रार्थना और आभासित संबंधों के माध्यम से व्यक्ति को स्वास्थ्य, संघर्ष और समृद्धि की प्राप्ति में मदद करता है। इन नियमित अभ्यासों के पालन से, चाणक्य विश्वास करते थे कि मनुष्य अपने जीवन में सफल हो सकता है। इस तरह की प्रार्थना, साधना तथा सामाजिक समर्थन से उन्हें आर्थिक और मानसिक संकटों से निपटने में मदद मिलती है। चाणक्य के मुताबिक, ऐसी सकारात्मक शुरुआत न केवल दिन की प्रारंभिक धारणा को मजबूत करती है, बल्कि व्यक्ति को जीवन में सफल और खुशहाल बनाने में मदद करती है।
चाणक्य का मानना था कि इन अनुशासित प्रथाओं का पालन करके व्यक्ति न केवल समृद्ध और पूर्ण जीवन जी सकता है, बल्कि वित्तीय और भावनात्मक कठिनाइयों के खिलाफ लचीलापन भी विकसित कर सकता है। उनके अनुसार, ऐसे सकारात्मक और अनुशासित अनुष्ठानों के साथ दिन की शुरुआत व्यक्तिगत और व्यावसायिक सफलता के लिए एक मजबूत नींव रखती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि व्यक्ति जीवन भर संतुष्ट और समृद्ध बना रहे।
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